Inkhabar
  • होम
  • राज्य
  • सुंदर साध्वी के समर्थन में उतरे महंत रवींद्र पुरी, कहा हमारी परंपरा कोई अपराध नहीं!

सुंदर साध्वी के समर्थन में उतरे महंत रवींद्र पुरी, कहा हमारी परंपरा कोई अपराध नहीं!

महाकुंभ 2025 के दौरान सुंदर साध्वी को लेकर चल रहा विवाद थमने नाम नहीं ले रहा है. शांभवी पीठाधीश्वर स्वामी आनंद स्वरूप महाराज ने इसे धर्म और परंपराओं के विपरीत बताया। इस विवाद पर अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने कहा कि इसमें कोई अपराध नहीं है।

Mahant Ravindra Puri statement on Harsha Richhariya
inkhbar News
  • Last Updated: January 16, 2025 08:52:48 IST

प्रागराज: महाकुंभ 2025 के दौरान सुंदर साध्वी को लेकर चल रहा विवाद थमने न नाम नहीं ले रहा है. बता दें निरंजनी अखाड़े की पेशवाई में 30 वर्षीय मॉडल हर्षा रिछारिया के रथ पर भगवा वस्त्र पहनकर बैठने पर कुछ संतों ने कड़ी आपत्ति जताई है। शांभवी पीठाधीश्वर स्वामी आनंद स्वरूप महाराज ने इसे धर्म और परंपराओं के विपरीत बताया। उन्होंने कहा कि महाकुंभ का उद्देश्य आध्यात्मिकता और ज्ञान का प्रसार करना है, न कि इसे प्रदर्शन का माध्यम बनाना।

स्वामी आनंद स्वरूप का बयान

आगे स्वामी आनंद स्वरूप ने कहा, “महाकुंभ एक धार्मिक और आध्यात्मिक आयोजन है। इसे प्रचार कार्यक्रम का हिस्सा बनाना अनुचित है। इससे समाज में गलत संदेश जाता है और धर्म के प्रति सम्मान को घटाता है। साथ ही उन्होंने कहा साधु-संतों को ऐसी चीज़ोंसे बचना चाहिए, वरना इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। मैंने अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी से इस पर कार्रवाई करने का अनुरोध किया है।”

महंत रवींद्र पुरी का जवाब

इस विवाद पर अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने कहा कि इसमें कोई अपराध नहीं है। उन्होंने कहा, “हर्षा रिछारिया निरंजनी अखाड़े के एक महामंडलेश्वर से दीक्षा लेने आई थीं। इस दौरान उन्होंने भगवा कपड़े पहने हुए थे, जो हमारी परंपरा का हिस्सा है। जब भी कोई धार्मिक आयोजन होता है, तो युवाओं का भगवा वस्त्र पहनना सामान्य बात है। इसे गलत तरीके से देखना उचित नहीं है।”

हर्षा ने दी सफाई

हर्षा रिछारिया ने विवाद के बाद स्पष्ट किया कि वह ‘संन्यासिन’ नहीं हैं। उन्होंने रामनामी कपड़ा पहनने और भगवा वस्त्र धारण करने को अपनी आस्था का हिस्सा बताया। इसी बीच यह विवाद बढ़ता ही जा रहा है. एक तरफ जहां स्वामी आनंद स्वरूप इसे प्रदर्शन के रूप में देखते हैं, दूसरी और महंत रवींद्र पुरी इसे परंपरा का हिस्सा मानते हैं। अब देखना ये होगा कि ये विवाद कहा तक जाता है.

ये भी पढ़ें: दिल्ली NCR में बारिश से बढ़ी ठंड, पंजाब में ऑरेंज अलर्ट, जानें आपके राज्य में कैसा रहेगा मौसम का मिजाज