लखनऊ: महाकुंभ का आगाज आज से शुरू हो गया है। संगम नगरी प्रयागराज में 12 सालों के बाद आयोजित यह कुंभ मेला 13 जनवरी से शुरू होकर 26 फरवरी तक चलेगा। इस पावन अवसर पर देश विदेश के लोग यहां संगम में डुबकी लगाने के लिए पहुंच रहे हैं। इस वर्ष का महाकुंभ 144 वर्षों के बाद घटित हुए दुर्लभ खगोलीय संयोग के कारण विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।

4 लाख करोड़ का कारोबार

महाकुंभ भारत के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था के लिए काफी फायदेमंद साबित होने वाला है। 45 दिनों तक चलने वाले इस मेगा इवेंट के लिए सरकार ने करीब 7,000 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक महाकुंभ में देश विदेश के 40 करोड़ श्रद्धालु पहुंचेंगे. एक अनुमान के मुताबिक महाकुंभ में 2 से 4 लाख करोड़ तक का कारोबार हो सकता है. जिससे यूपी और भारत सरकार को काफी राजस्व मिलेगा. एक रिपोर्ट में यह  दावा किया गया है कि हर व्यक्ति औसतन 5- 10 हजार रुपये खर्च कर सकता है और र 40 करोड़ श्रद्धालु इसमें आ रहे हैं.  इस तरह 4 लाख करोड़ रुपये तक का कारोबार हो सकता है. यूपी सरकार को मेले से 25 हजार करोड़ का राजस्व मिल सकता है.

सरकार को 20,000 करोड़ रुपये का होगा लाभ

कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) के अनुसार, महाकुंभ में पैकेज्ड फूड, पानी, बिस्किट, जूस और खाने-पीने की चीजों से सरकार को 20-25 हजार करोड़ रुपये का राजस्व मिल सकता है। वहीं, तेल, दीये, गंगाजल, मूर्ति, अगरबत्ती और धार्मिक पुस्तकें, प्रसाद जैसी धार्मिक वस्तुओं से 20,000 करोड़ रुपये का राजस्व मिलने का अनुमान है।

साल 2013 के महाकुंभ की खासियत

2013 के महाकुंभ ने पहली बार मल्टीनेशनल कंपनियों का ध्यान खींचा। दरअसल, भारतीय वाणिज्य एंव उद्योग मंडल (ASSOCHAM ) ने कुंभ को लेकर अपनी रिपोर्ट में 12 हजार करोड़ रुपए के राजस्व की उम्मीद जताई थी, जो लगभग सही साबित हुई थी। 2013 में ही पहली बार करीब 200 विदेशी मीडिया संस्थानों ने कुंभ में उपस्थिति दर्ज कराई।

साधु-संतों-कथावाचकों के हाईटेक पंडाल लगे कुंभ में सीएजी की रिपोर्ट के अनुसार 14 जनवरी से 10 मार्च 2013 तक चले कुंभ के लिए सरकार ने क़रीब 1,300 करोड़ रुपये दिए थे, जिसमें से 1017 करोड़ रुपए खर्च हुए। मेले में 12 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु पहुंचे थे। पहली बार साधु-संतों-कथावाचकों के हाईटेक पंडाल लगे थे।

2019 में 4,200 करोड़ रुपये खर्च हुए

साल 2019 में सरकार ने प्रयागराज में कुंभ के लिए 4,200 करोड़ रुपये की राशि दी थी. यह उस समय का सबसे महंगा तीर्थ आयोजन बन गया था . पिछली सरकार (समाजवादी सरकार) ने 2013 में महाकुंभ मेले पर क़रीब 1,300 करोड़ रुपये की राशि ख़र्च की थी. 2019 के अर्ध कुंभ में 3 रिकॉर्ड बने 2019 का अर्ध कुंभ 3200 हेक्टेयर में हुआ था जिसमें 24 करोड़ लोग पहुंचे थे। पहली बार केंद्र सरकार के निमंत्रण पर 188 देशों के 200 प्रतिनिधियों ने भव्य कुंभ का दिव्य नजारा देखा।

हालांकि, सरकार भले ही लाभ को ध्यान में रखकर कुंभ जैसे धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों पर खर्च न करती हो, लेकिन अगर सरकारी आंकड़े खर्च से ज्यादा आय दिखाते हैं तो निश्चित तौर पर कहा जा सकता है कि सरकार के दोनों हाथ में लड्डू है।

 

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