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पश्चिम बंगाल में साधुओं की पिटाई पर मचा बवाल, जानें किसने क्या कहा?

नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल के पुरुलिया में महाराष्ट्र पालघर के जैसा एक हादसा होते-होते रह गया। यहां उत्तर प्रदेश के बरेली से गंगासागर जा रहे संतों को बच्चा चोर समझकर ग्रामीणों ने उनकी बेरहमी से पिटाई कर दी। इलाके में अफवाह फैल गई कि वो बच्चा चोर हैं। सड़क पर कुछ ग्रामीणों ने गाड़ी को […]

Attack On Sadhus Video
inkhbar News
  • Last Updated: January 13, 2024 12:22:59 IST

नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल के पुरुलिया में महाराष्ट्र पालघर के जैसा एक हादसा होते-होते रह गया। यहां उत्तर प्रदेश के बरेली से गंगासागर जा रहे संतों को बच्चा चोर समझकर ग्रामीणों ने उनकी बेरहमी से पिटाई कर दी। इलाके में अफवाह फैल गई कि वो बच्चा चोर हैं। सड़क पर कुछ ग्रामीणों ने गाड़ी को रोका तथा साधुओं को नजदीक के काली मंदिर की तरफ ले गए और वहां उनके साथ मारपीट करने के बाद गाड़ी में भी तोड़फोड़ की। गांव के कुछ युवकों ने किसी तरह से संतों की जान बचाई। अब इस मामले पर सियासत गरमाई हुई है। आइए बताते हैं कि इस मामले पर किसने क्या कहा?

बीजेपी ने बोला हमला

इस घटना की तुलना 2020 के पालघर मॉब लिंचिंग मामले से करते हुए अमित मालवीय ने लिखा कि पश्चिम बंगाल के पुरुलिया से बिल्कुल चौंकाने वाली घटना सामने आई…मकर संक्रांति के लिए गंगासागर जा रहे संतों को सत्तारूढ़ TMC से जुड़े अपराधियों ने निर्वस्त्र कर पीटा। ये दावा करते हुए कि पश्चिम बंगाल में हिंदू होना अपराध है, उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी के शासन में, शाहजहां शेख जैसे आतंकवादी को संरक्षण मिलता है और साधुओं की हत्या हो रही है।

पालघर जैसी घटना दोहराई जा रही

वहीं इस मामले पर अखिल भारत हिंदू महासभा के स्वामी चक्रपाणि ने कहा कि बंगाल में पालघर जैसी घटना दोहराई जा रही है। यह कितना दुर्भाग्यपूर्ण है। जब भगवान राम का मंदिर बन रहा है, उस समय साधु सुरक्षित नहीं है। उन्होंने मांग की कि ममता सरकार आरोपियों को गिरफ्तार करके तुरंत सजा सुनाए।

क्या बोली पुलिस?

सूचना पर पहुंची पुलिस संतों को थाने लेकर गई। उसके बाद काशीपुर कल्लली ग्रामीण हास्पिटल में उनका प्राथमिक इलाज कराया गया। पुलिस ने साधुओं के आधार कार्ड और कार चालक के ड्राइविंग लाइसेंस की जांच की, तो सही पाया गया। पुलिस ने तीनों नाबालिग के परिजनों से संपर्क किया, लेकिन उनलोगों ने पुलिस के पास शिकायत दर्ज नहीं की। वहीं, पीड़ित संतों ने भी अभी तक किसी के खिलाफ शिकायत दर्ज नहीं कराई है।