लखनऊ: उत्तर प्रदेश के चन्दौली जिला कलेक्ट्रेट में आयोजित जिला विकास समन्वय और निगरानी समिति (दिशा) की बैठक में शनिवार को जबरदस्त हंगामा मच गया. बैठक के दौरान समाजवादी पार्टी (सपा) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच बहस छिड़ गई, जिसके बाद माहौल गरमा गया। इस दौरान दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर भ्रष्टाचार, तानाशाही और गुंडागर्दी के आरोप लगाए, जिसके बाद बैठक को बीच में ही रोकना पड़ी.
क्या थी विवाद की जड़
कलेक्ट्रेट में आयोजित दिशा की बैठक की अध्यक्षता सपा सांसद वीरेंद्र सिंह कर रहे थे. इसी दौरान राबर्टसगंज से सपा सांसद सांसद छोटेलाल खरवार ने लोक निर्माण विभाग (PWD) में भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया। जिसका भाजपा विधायक कैलाश आचार्य ने विरोध किया. इसी दौरान सपा सांसद वीरेंद्र सिंह और भाजपा विधायक सुशील सिंह भी आमने-सामने हो गए. उन्होंने आरोप लगाया कि विभाग में बिना रिश्वत दिए कोई काम नहीं होता। उनके इस आरोप का भाजपा विधायक सुशील सिंह ने कड़ा विरोध किया और इसे बेबुनियाद बताया। इसी बात को लेकर दोनों के बीच बहस तेज हो गई और देखते ही देखते मामले ने तूल पकड़ लिया।
विधायकों के बीच नोकझोंक
इसी दौरान मुगलसराय के भाजपा विधायक रमेश जायसवाल ने सपा विधायक प्रभु नारायण यादव पर सड़क चौड़ीकरण के मुद्दे को लेकर बेवजह विवाद खड़ा करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सपा विधायक बिना किसी प्रमाण के भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर जनता को गुमराह कर रहे हैं। इस टिप्पणी पर प्रभु नारायण यादव नाराज हो गए और उन्होंने भाजपा विधायक को बैठने के लिए कह दिया। इस पर भाजपा विधायक रमेश जायसवाल भड़क गए और उन्होंने सपा विधायक को मर्यादा में रहने की नसीहत दे डाली। देखते ही देखते बहस और बढ़ गई और दोनों नेताओं के बीच तीखी नोकझोंक शुरू हो गई।
बैठक स्थगित करने की मांग
बात इतनी बढ़ गई कि सैयदराजा विधायक सुशील सिंह भी बहस में कूद पड़े, जिससे विवाद और गहरा गया। मामला गरमाता देख सपा सांसद वीरेंद्र सिंह ने दोनों पक्षों को शांत कराने की कोशिश की, लेकिन कोई भी झुकने को तैयार नहीं था। विवाद बढ़ता देख भाजपा विधायकों ने बैठक का बहिष्कार कर दिया और बाहर चले गए। उन्होंने सपा विधायकों से माफी की मांग की। हालांकि कुछ समय बाद भाजपा विधायक वापस लौटे लेकिन उन्होंने बैठक स्थगित करने की मांग उठाई।
अधिकारियों ने किसी तरह बैठक को आगे बढ़ाने की कोशिश की, लेकिन माहौल शांत नहीं हो पाया। आखिर में जल्दबाजी में बैठक की औपचारिकता पूरी कर दी गई। बैठक समाप्त होने के बाद भी सत्तापक्ष और विपक्ष के जनप्रतिनिधियों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी रहा।
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