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35 साल से गैंगस्टर फर्जी पहचान बनाकर कर रहा था होमगार्ड की नौकरी, ऐसे हुआ पर्दाफाश

उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां एक गैंगस्टर आरोपी ने फर्जी दस्तावेजों और पहचान के सहारे 35 साल तक होमगार्ड की नौकरी कर रहा था। हैरानी की बात यह है कि इतने सालों तक किसी को उसकी असली पहचान और आपराधिक इतिहास की भनक नहीं लगी।

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  • Last Updated: January 9, 2025 13:09:00 IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां एक गैंगस्टर आरोपी ने फर्जी दस्तावेजों और पहचान के सहारे 35 साल तक होमगार्ड की नौकरी कर रहा था। वहीं यह मामला तब उजागर हुआ जब आरोपी के भतीजे ने पुलिस को शिकायत देकर उसकी धोखाधड़ी का खुलासा किया। बता दें तीन दिसंबर को आरोपी नकदू उर्फ नंदलाल के भतीजे ने रानी की सराय थाने में शिकायत दर्ज कराई थी कि उसके चाचा ने फर्जी प्रमाण पत्र बनाकर सरकारी नौकरी प्राप्त की है। हालांकि शिकायत मिलने पर पुलिस ने मामले की जांच शुरू की और चौंकाने वाले खुलासे हुए।

हत्या के मामले दर्ज

पुलिस जांच में पता चला कि नकदू सितंबर 1989 से 2024 तक जिले के रानी की सराय और मेंहनगर थाने में होमगार्ड की नौकरी करता रहा। हैरानी की बात यह है कि इतने सालों तक किसी को उसकी असली पहचान और आपराधिक इतिहास की भनक नहीं लगी। वहीं नकदू के खिलाफ हत्या के प्रयास, डकैती और गैंगस्टर एक्ट जैसे कई गंभीर मामले दर्ज हैं। 1984 में जहानागंज थाना क्षेत्र में मुन्ना यादव की हत्या के मामले में उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था। इसके बाद 1987 में डकैती का मामला और 1988 में गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई हुई थी।

चौथी कक्षा तक की पढ़ाई

पुलिस के अनुसार, नकदू ने चौथी कक्षा तक पढ़ाई की थी, लेकिन होमगार्ड की नौकरी के लिए उसने कक्षा आठ का फर्जी प्रमाण पत्र तैयार कराया। पुलिस ने बताया कि नकदू ने नौकरी पाने के लिए अपनी पहचान भी बदल ली। वहीं 1990 में उसने अपना नाम बदलकर नंदलाल रख लिया। इस नई पहचान के सहारे उसने 35 साल तक सरकारी नौकरी की और किसी को भी शक नहीं हुआ।

 भ्रष्टाचार पर उठा सवाल

पुलिस ने शिकायत सही पाए जाने पर नकदू उर्फ नंदलाल को तुरंत निलंबित कर दिया और उसके खिलाफ रानी की सराय थाने में मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस अब आरोपी के खिलाफ आगे की कार्रवाई कर रही है। इस मामले ने सरकारी नौकरियों को फर्जी तरीके से पाने के ऊपर सवाल खड़े कर है. इसके साथ ही सरकारी दफ्तरों में हो रहे भ्रष्टाचार को लेकर भी सवाल खड़े हो गए है.

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