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काशी में जलती चिताओं के बीच नगर वधुओं का डांस, चैत्र नवरात्रि पर 400 साल पुरानी परंपरा निभाई गई

शुक्रवार को काशी महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर नगर वधुओं ने रात भर डांस किया है. एक ओर चिताएं जल रही हैं तो वहीं दूसरी ओर ये डांस का प्रदर्शन कर रही हैं. इन वधुओं का यह प्रदर्शन रात भर महाश्मशान में बैठकर लोगों ने उत्साह के साथ डांस के मजेलिए.

Varanasi Manikarnika Ghat
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  • Last Updated: April 5, 2025 17:30:25 IST

Masan Nath Baba Dance: शुक्रवार को काशी महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर नगर वधुओं ने रात भर डांस किया है. एक ओर चिताएं जल रही हैं तो वहीं दूसरी ओर ये डांस का प्रदर्शन कर रही हैं. इन वधुओं का यह प्रदर्शन रात भर महाश्मशान में बैठकर लोगों ने उत्साह के साथ डांस के मजे लिए.

वधुओं ने बाबा को रिझाने के लिए गाए भजन

वधुओं ने बाबा से वरदान मांगा कि अगले जन्म में हमें नगर वधु न बनना पड़े. इस कारण से कलंकित जीवन से मुक्ति देना होगा. वधुओं ने बाबा को रिझाने के लिए रात भर भजन गाए.

चमेली के फूलों से किया बाबा का श्रृंगार

शुक्रवार की रात को बाबा मसाननाथ का दरबार बड़े अच्छे से सजाया गया. साथ ही गुलाब, गेंदा, बेला, रजनीगंधा, चमेली के फूलों से बाबा का श्रृंगार किया गया भी किया गया.था. बाबा को भोग लगाया गया और भव्य आरती की गई. इसके बाद बाबा मसाननाथ के सामने नगर वधुओं का मंच सजा. पूरी रात नगर वधुओं ने डांस किया. दुर्गा दुर्गति नाशिनी…डिमिग डिमिग डमरू कर बाजे…जैसे भजन भी गाए गए.

चैत्र नवरात्रि पर होता है यह आयोजन

मान्यताओं के आधार पर चैत्र नवरात्रि की सप्तमी तिथि को 400 साल पुरानी यह परंपरा निभाई जाती है. चैत्र नवरात्रि की सप्तमी पर यह कार्यक्रम हर साल होता है. इसमें वाराणसी के आसपास के जिलों के अलावा कई राज्यों से भी नगर वधु यहां पर पहुंचती हैं. यहां की खास बात यह है कि किसी भी नगर वधु को आमंत्रित नहीं किया जाता है.

संगीतकारों को भी आमंत्रित

हिचक के चलते कलाकारों ने मंगल उत्सव में भाग लेने से मना कर दिया. राजा मानसिंह दुखी हुए और मंदिर में बगैर उत्सव किए ही लौटने का मन बना लिया. काशी के बुजुर्ग लोग बताते हैं. यह जानकारी जब नगर वधुओं तक पहुंची तो उन्होंने अपने आराध्य नटराज स्वरूप मसाननाथ की महफिल सजाने का फैसला कर लिया था. आयोजक गुलशन कपूर ने कहा है कि 16वीं शताब्दी में काशी आए राजा मान सिंह ने मणिकर्णिका तीर्थ पर श्मशान नाथ मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था.

उस समय से इस मंगल उत्सव के लिए नगर के संगीतकारों को भी आमंत्रित किया जाने लगा. राजा को बिना किसी संकोच से संदेश भिजवाया गया कि वे मंगल उत्सव मनाने को उत्सुक हैं. संदेश पाकर राजा मान सिंह प्रसन्न हुए और उन्होंने सम्मान से रथ भेजा. इस कारण से नगर वधुओं को उत्सव में रथ से बुलवाया गया. तभी से यह परंपरा चली आ रही है जो आज तक चल ही रही है.

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