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महाकुंभ में कौन हैं एंबेसडर बाबा जिन्होंने डाला चलता-फिरता आश्रम

संगम नगरी प्रयागराज में 13 जनवरी से महाकुंभ की शुरुआत चुकी है, जहां करोड़ों श्रद्धालु संगम में डुबकी लगाने पहुंच रहे हैं। इसी बीच महंत राजगिरी और उनकी अनोखी भगवा रंग की एंबेसडर कार खूब चर्चा बटोर रहे हैं. महंत राजगिरी का कहना है कि उन्होंने बचपन में ही अपना घर छोड़ दिया और साधु जीवन अपना लिया।

Who is the Ambassador Baba in Mahakumbh 2025
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  • Last Updated: January 19, 2025 11:14:48 IST

प्रयागराज: संगम नगरी प्रयागराज में 13 जनवरी से महाकुंभ की शुरुआत चुकी है, जहां करोड़ों श्रद्धालु संगम में डुबकी लगाने पहुंच रहे हैं। कुंभ में देश-विदेश से साधु-संत और महात्मा अपनी अनोखी जीवनशैली और आस्था के साथ यहां पहुंच रहे हैं। इसी बीच महंत राजगिरी और उनकी अनोखी भगवा रंग की एंबेसडर कार खूब चर्चा बटोर रहे हैं.

दान में मिली कार

इंदौर से आए महंत राजगिरी को लोग ‘एंबेसडर कार वाले बाबा’ या ‘टार्जन बाबा’ के नाम से जानते हैं। 40 साल पुरानी यह कार बाबा को दान में मिली थी, जिसे उन्होंने अपना घर बना लिया। बाबा का कहना है कि यह कार उनके लिए सिर्फ एक वाहन नहीं, बल्कि एक चलता-फिरता आश्रम है, जहां उन्हें आत्मिक शांति और संतोष मिलता है।

एंबेसडर बाबा

बाबा का जुगाड़

महंत राजगिरी ने इस पुरानी कार को अपनी जरूरतों के हिसाब से बदल दिया है। इसमें एक पंखा फिट किया गया है, जो पाइप से जुड़े एक छोटे चेंबर को ठंडा रखता है। बाबा ने इसे अपने जुगाड़ से AC कार बना दिया है। इसके अलावा कार की छत को मचान का रूप देकर सोने का पलंग बना लिया है। जब भी उन्हें विश्राम करना होता है, वह कार रोककर छत पर आराम कर लेते हैं। कार के आगे की हेडलाइट्स को आंखों की शक्ल दी गई है, जिससे यह और अनोखी लगती है। बाबा बताते हैं कि इस कार ने उन्हें दुनियावी मोह-माया और परेशानियों से दूर रखा है और आत्मनिर्भर बनने में मदद की है।

बचपन में छोड़ा घर

महंत राजगिरी का कहना है कि उन्होंने बचपन में ही अपना घर छोड़ दिया और साधु जीवन अपना लिया। वहीं उनका कोई परिवार नहीं है, लेकिन यह कार उनके जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुकी है। उनका कहना है, “यह कार मेरे साथ जीवनभर रहेगी। यह न केवल मेरा ठिकाना है, बल्कि मेरे आध्यात्मिक जीवन का हिस्सा भी है।” वहीं श्रद्धालु उनके जुगाड़ और साधना के प्रति समर्पण की तारीफ कर रहे हैं।

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