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कोलकाता में ‘फोर्ट विलियम’ का नाम बदलकर रखा ‘विजय दुर्ग’, जानें इसके पीछे का इतिहास

विंग कमांडर तिवारी ने कहा कि फोर्ट विलियम के अंदर किचनर हाउस का नाम बदलकर मानेकशॉ हाउस कर दिया गया है, जबकि दक्षिण गेट, जिसे पहले सेंट जॉर्ज गेट कहा जाता था, अब शिवाजी गेट के नाम से जाना जाएगा।

fort william
inkhbar News
  • Last Updated: February 5, 2025 16:22:30 IST

पश्चिम बंगाल: कोलकाता स्थित सेना की पूर्वी कमान के मुख्यालय ‘फोर्ट विलियम’ का नाम बदलकर ‘विजय दुर्ग’ कर दिया गया है। रक्षा मंत्रालय, कोलकाता के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी विंग कमांडर हिमांशु तिवारी ने इसकी पुष्टि की। उन्होंने बताया कि फोर्ट विलियम के भीतर स्थित कुछ अन्य ऐतिहासिक संरचनाओं के नाम भी बदले गए हैं।

इन जगह का बदला नाम

विंग कमांडर तिवारी ने कहा कि फोर्ट विलियम के अंदर किचनर हाउस का नाम बदलकर मानेकशॉ हाउस कर दिया गया है, जबकि दक्षिण गेट, जिसे पहले सेंट जॉर्ज गेट कहा जाता था, अब शिवाजी गेट के नाम से जाना जाएगा।

विजय दुर्ग क्यों रखा गया?

विजय दुर्ग एक बहुत मजबूत किला था, जिसे जीतना लगभग नामुमकिन था। इसलिए विजय दुर्ग को नया नाम चुना गया है। यह नाम भारतीय सेना की ताकत और साहस को दर्शाता है। यह बदलाव देश के इतिहास में एक नए अध्याय की शुरुआत का प्रतीक है।

क्या है फोर्ट विलियम का इतिहास

पूर्वी कमान के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, वर्तमान फोर्ट विलियम करीब 177 एकड़ में फैला हुआ है। यह 1757 में सिराजुद्दौला की सेना द्वारा नष्ट किए गए मूल किले की जगह लेता है। ब्रिटिश शासन ने इस नए किले का निर्माण वर्ष 1758 में शुरू किया था और इसका पहला चरण वर्ष 1781 में पूरा हुआ था।

उन्होंने कहा कि पुराने किले की हार से सीख लेते हुए अंग्रेजों ने अधिक सुरक्षा उपायों के साथ नया किला बनवाया। इसे आठ दरवाजों के साथ अष्टकोणीय आकार में डिजाइन किया गया था, जिसके चारों ओर खाई बनी हुई थी। इनमें से तीन दरवाजे हुगली नदी की ओर थे जबकि अन्य खुले मैदान की ओर थे। उस समय इसे ग्लेशिस कहा जाता था और आज इसे कोलकाता मैदान के नाम से जाना जाता है। उन्होंने आगे कहा कि किले की दीवारों पर 497 तोपें तैनात थीं, लेकिन कभी किसी दुश्मन पर उन्हें चलाने की जरूरत नहीं पड़ी क्योंकि इस किले पर कभी हमला नहीं हुआ।

 

 

 

 

 

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