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एयरसेल-मैक्सिस मामला: 10 जुलाई तक गिरफ्तार नहीं होंगे पी चिदंबरम, कोर्ट ने गिरफ्तारी पर रोक की अवधि बढ़ाई

एयरसेल-मैक्सिस मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आज सुनवाई करते हुए कोर्ट ने पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम की गिरफ्तारी पर 10 जुलाई तक रोक की अवधि को बढ़ा दिया है. वहीं प्रवर्तन निदेशालय ने मामले में विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कोर्ट से और समय देने की मांग की है. मामले की सुनवाई अब 10 जुलाई को होगी.

Court gives P. Chidambaram protection from arrest
inkhbar News
  • Last Updated: June 5, 2018 10:47:36 IST

नई दिल्ली. एयरसेल-मैक्सिस मामले में आज अदालत ने सुनवाई करते हुए पूर्व वित्त मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता पी चिदंबरम की गिरफ्तारी पर 10 जुलाई तक रोक की अवधि को बढ़ा दिया है. अदालत ने अगली सुनवाई के लिए 10 जुलाई की तारीख निर्धारित की है. उसी दिन एयरसेल-मैक्सिस मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कार्ति चिदंबरम के खिलाफ सुनवाई होगी. आज की सुनवाई में ईडी ने डिटेल रिपोर्ट कोर्ट में जमा कराने के लिए और समय देने की मांग की थी, जिसे कोर्ट ने मान लिया है.

इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने एयरसेल-मैक्सिस मामले में पी. चिदंबरम की गिरफ्तारी पर 5 जून तक रोक लगाई थी. जिसके बाद इस केस में उन्होंने अग्रिम जमानत के लिए याचिका दायर की थी. बता दें कि पहले ये खबरें सामने आ रही थीं कि मंगलवार को चिदंबरम ईडी के सामने पेश हो सकते हैं. इससे पहले 25 मई को ईडी ने एयरसेल-मैक्सिस डील केस में पी. चिदंबरम को नोटिस भेजा था. फिलहाल कोर्ट ने अब चिदंबरम को 10 जुलाई तक बड़ी राहत दी है.

बता दें कि 10 जुलाई को ही इसी मामले में पी. चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम के खिलाफ चल रहे केस की सुनवाई होनी है. पी. चिदंबरम पर आरोप है कि उन्होंने कथित तौर पर एयरसेल-मैक्सिस को एफडीआई के अनुमोदन के लिए आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी को दरकिनार कर दिया था. उन्होंने कमेटी की इजाजत के बगैर इस डील को मंजूरी दे दी थी.

बता दें कि इससे पहले 01 जून को चिदम्बरम की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और सलमान खुर्शीद ने न्यायाधीश के सामने इस मामले को पेश किया और अदालत को आश्वासन दिया कि कांग्रेस नेता जांच एजेंसी के साथ सहयोग करेंगे. सीबीआई की तरफ से पेश हो रहे अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने अग्रिम जमानत याचिका का विरोध करते हुये कहा कि चिदम्बरम को राहत के लिए उच्च न्यायालय के बजाय पहले निचली अदालत में जाना चाहिए था.

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