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स्मार्टफोन की लत नोमोफोबिया से किशोर हुए परेशान, होने लगीं ये बीमारियां

नई दिल्ली, किसी भी चीज़ की अति हानिकारक होती है. ऐसा ही आज कल हम स्मार्टफोन के साथ देख रहे हैं. बता दें, स्मार्टफोन की लत को नोमोफोबिया कहकर बुलाया जाता है जो आज कल किशोरों और वयस्कों में आम हो गया है. कई बार मोबाइल की उपयोगिता इस कदर हावी हो जाती है कि […]

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  • Last Updated: July 10, 2022 19:28:23 IST

नई दिल्ली, किसी भी चीज़ की अति हानिकारक होती है. ऐसा ही आज कल हम स्मार्टफोन के साथ देख रहे हैं. बता दें, स्मार्टफोन की लत को नोमोफोबिया कहकर बुलाया जाता है जो आज कल किशोरों और वयस्कों में आम हो गया है. कई बार मोबाइल की उपयोगिता इस कदर हावी हो जाती है कि इसकी अनुपस्थिति से ही किशोर और नोमोफोबिया के शिकार लोग असहज लगने लगते हैं. ये बीमारी जितना दिखाई देती गया उससे कहीं ज़्यादा हानिकारक है. आज हम आपको नोमोफोबिया से होने वाले खतरनाक रोगों के बारे में बताने जा रहे हैं.

कंप्यूटर विजन सिंड्रोम 

अमेरिका की विजन काउंसिल द्वारा किया गया सर्वे बताता है कि 70 फीसदी लोग मोबाइल स्क्रीन को देखते समय आंखें सिकोड़ते हैं जो लक्ष्ण आगे चलकर कंप्यूटर विजन सिंड्रोम बीमारी में तब्दील हो सकता है. इस कंडीशन में आंखें सूखने और धुंधला दिखने की समस्या हो जाती है.

रीढ़ की हड्डी पर असर

युनाइटेड कायरोप्रेक्टिक एसोसिएशन द्वारा किया शोध बताता है कि लगातार फोन का उपयोग करने पर कंधे और गर्दन झुके रहते हैं जो रीढ़ की हड्डी को प्रभावित करता है. झुके गर्दन की वजह से रीढ़ की हड्डी आगे चलकर झुकी रह सकती है.

फेफड़ों पर असर 

रीढ़ की हड्डी और झुकी गर्दन की वजह से शरीर को पूरी या गहरी सांस लेने में समस्या हो सकती है. यह समस्या एक और समस्या को जन्म देती है. जिसका सीधा असर फेफड़ों पर पड़ता है.

टेक्स्ट नेक 

मोबाइल स्क्रीन पर नजरें गड़ाए रखने से लोगों को गर्दन दर्द की समस्या तो होती ही है इससे इंसान की गर्दन को लंबे समय तक तकलीफ झेलनी पड़ सकती है. इस समस्या को ‘टेक्स्ट नेक’ का नाम दिया गया है. इस समस्या को लगातार टेक्स्ट मैसेज भेजने वालों और वेब ब्राउजिंग करने वालों में अधिक पाया गया है.

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