नई दिल्ली: ऑनलाइन मैसेजिंग प्लेटफॉर्म Telegram को ऑस्ट्रेलिया की ई-सेफ्टी कमीशन ने करोड़ों रुपये के जुर्माने का नोटिस जारी किया है। कंपनी पर यह कार्रवाई कट्टरपंथी और आपत्तिजनक कंटेंट को रोकने से जुड़ी जानकारी समय पर उपलब्ध न कराने के कारण की गई है। बता दें पिछले साल मार्च में ऑस्ट्रेलिया की ई-सेफ्टी कमिश्नर जूली इनमैन ग्रांट ने Telegram, WhatsApp, Google, Reddit और X जैसी कंपनियों को एक नोटिस भेजा था। इस नोटिस में इन प्लेटफॉर्म्स से यह पूछा गया था कि उन्होंने अपने साइट्स पर आतंकवाद और चरमपंथी कंटेंट को रोकने के लिए क्या कदम उठाए हैं।
क्यों लगा जुर्माना
इस दौरान Telegram और Reddit से विशेष रूप से यह जानकारी मांगी गई थी कि वे बच्चों के यौन शोषण से जुड़े कंटेंट को रोकने के लिए क्या रणनीति अपना रहे हैं। अन्य सभी कंपनियों ने मई 2024 की डेडलाइन तक जवाब भेज दिया था, लेकिन Telegram तय समय पर ऐसा नहीं कर पाया। कंपनी ने 5 महीने की देरी से जवाब जमा किया, जिसके चलते अब उस पर लगभग 8.5 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है।
कमीशन का कड़ा रुख
ई-सेफ्टी कमिश्नर जूली इनमैन ग्रांट ने कहा कि यह जुर्माना कंपनियों के लिए एक सख्त संदेश है कि पारदर्शिता दिखाना कोई वैकल्पिक प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह कानूनी अनिवार्यता है। उन्होंने कहा, “Telegram ने हमारे नोटिस का जवाब देने में 160 दिन लगा दिए, जिससे जांच प्रभावित हुई। आतंकवाद और कट्टरपंथी सामग्री समाज के लिए खतरा है और टेक कंपनियों को जिम्मेदारी लेनी होगी।”
Telegram का बचाव
Telegram ने इस जुर्माने का विरोध करते हुए कहा कि उसने सभी सवालों के जवाब दे दिए हैं। कंपनी के प्रवक्ता का कहना है कि यह जुर्माना सिर्फ समय पर जवाब न देने के कारण लगाया गया है, जबकि सभी आवश्यक जानकारियां मुहैया कराई जा चुकी हैं। कंपनी ने यह भी साफ किया कि वह इस फैसले के खिलाफ अपील करेगी।
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