Inkhabar
  • होम
  • टेक
  • आखिर क्या है ‘ब्लू स्क्रीन ऑफ डेथ’ जिसने दुनिया में मचाया कोहराम, इससे पहले ‘Y2K’ और ‘DNS’ ने रुलाया था!

आखिर क्या है ‘ब्लू स्क्रीन ऑफ डेथ’ जिसने दुनिया में मचाया कोहराम, इससे पहले ‘Y2K’ और ‘DNS’ ने रुलाया था!

नई दिल्ली: माइक्रोसॉफ्ट विंडोज आधारित लैपटॉप और कम्प्यूटर्स में शुक्रवार, 19 जुलाई को अचानक ब्लू स्क्रीन ऑफ डेथ (BOSD) का एरर दिखाई देने लगा. जिससे डिवाइस बार-बार रिस्टार्ट होने लगे. सर्वर्स में समस्या आने के कारण दुनियाभर के कई देशों के दैनिक कार्यों में रुकावट पैदा हो गई. हवाई यात्रा, बैंक और मीडिया संस्थानों के […]

BOSD
inkhbar News
  • Last Updated: July 19, 2024 21:16:26 IST

नई दिल्ली: माइक्रोसॉफ्ट विंडोज आधारित लैपटॉप और कम्प्यूटर्स में शुक्रवार, 19 जुलाई को अचानक ब्लू स्क्रीन ऑफ डेथ (BOSD) का एरर दिखाई देने लगा. जिससे डिवाइस बार-बार रिस्टार्ट होने लगे. सर्वर्स में समस्या आने के कारण दुनियाभर के कई देशों के दैनिक कार्यों में रुकावट पैदा हो गई. हवाई यात्रा, बैंक और मीडिया संस्थानों के कार्यों में बाधाएं उत्पन्न होने लगीं. इतिहास में ये पहली बार नहीं है जब कम्प्यूटर या लैपटॉप में इस तरह के बग आए हों इससे पहले भी इस तरह की घटनाएं हो चुकी हैं. जानते हैं.

ब्लू स्क्रीन ऑफ डेथ (BOSD)

ब्लू स्क्रीन ऑफ डेथ हमारे कम्प्यूटर या लैपटॉप में तब शो होता है जब ऑपरेटिंग सिस्टम में कोई बड़ी समस्या आने वाली होती है. ये एरर ऐसी स्थिति में आता है जब OS किसी समस्या को संभालने में अक्षम हो जाता है और सिस्टम क्रैश हो जाता है. पहले इस एरर को ब्लैक स्क्रीन ऑफ डेथ के नाम से जाना जाता था क्योंकि उस समय पुराने विंडोज में मेसेज काले रंग के बैकग्राउंड में दिखाई देता था.

DNS TLD OUTAGE (1997)

16 जुलाई 1997 को एक बग के कारण दुनियाभर में एकसाथ इंटरनेट बंद हो गया था. इस बग को DNS TLD OUTAGE नाम दिया गया. भारतीयों के पास इस समय तक गिनती के लोगों के पास इंटरनेट था लेकिन दुनियाभर के 5 करोड़ से अधिक लोग इससे प्रभावित हुए थे.साल 1997 में इंटरनेट से जुड़े कार्यों और हवाई यात्राएं 4 घंटे के लिए पूरे विश्व में ठप्प हो गई थीं. हालांकि दोबारा DNS रूट पर सर्वर रिलीज किया गया तो ये समस्या दूर हो गई थी लेकिन इस घटना के बाद तमाम लोगों ने इंटरनेट की निर्भरता पर सवाल खड़े किए थे.

Y2K बग से दुनिया हुई थी परेशान

1960-1980 के दशक में, कंप्यूटर इंजीनियरों ने डेटा भंडारण स्थान को बचाने के लिए “19” को हटाकर वर्ष के लिए दो अंकों के कोड का उपयोग किया था. वर्ष 2000 के करीब आते-आते इस संक्षिप्त तिथि प्रारूप ने चिंताएं पैदा कर दीं. इंजीनियर्स को एहसास हुआ कि कंप्यूटर “00” की व्याख्या 1900 के रूप में कर सकते हैं, लेकिन 2000 के रूप में नहीं. दैनिक या वार्षिक आधार पर प्रोग्राम की गई चीजें हानिकारक साबित हो सकती हैं.

साल 2000 में आए Y2K बग ने पूरी दुनिया को कुछ समय के लिए परेशान कर दिया था. इस बग के कारण सबसे अधिक बैंकों पर असर हुआ था. इस बग के कारण कम्पयूटर ने ब्याज दरों की गिनती गलत कर दी थी जिससे कस्टूमर्स से एक दिन का ब्याज 100 वर्ष का ब्याज लगा हुआ दिखाई देने लगा. इस गलती के कारण कस्टूमर्स पर गलत ब्याज शुल्क लगा जिससे बैंकों और ग्राहकों को भारी नुकसान उठाना पड़ा था. इसके अलावा बिजली संयंत्र एयरलाइन सहित परिवहन भी इस बग की चपेट में थे. एयरलाइन निर्धारित समय पर उड़ान भरने में विफल रहे थे क्योंकि कम्प्यूटर समय और तारीख की सही गणना करने में विफल थे. हालांक कुछ समय बाद प्रोग्रामर्स ने इस समस्या से छुटकारा पा लिया था.

ये भी पढ़ें- माइक्रोसॉफ्ट के सर्वर में खराबी का बैंक-विमान-फ़ोन सब पर असर, कई देशों में बुलाई गई इमरजेंसी बैठक

माइक्रोसॉफ्ट का सर्वर डाउन होने से मचा हड़कंप, भारत से US तक उड़ानें बंद