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Atal Ji birth anniversary: जननेता अटल बिहारी वाजपेयी से जुड़ीं यादें

नई दिल्ली : New Delhi अटल बिहारी बाजपेयी Atal Bihari Vajpapee एक बहुआयामी व्यक्तित्व, वाक्पटुता के महाधनी, शिष्ट हाजिर जवाब, मुखर आलोचल, प्रखर वक्ता, बड़े कवि, पत्रकार और भारत के तीन बार प्रधानमंत्री बनने वाले राजनेता थे. अटल बिहारी बाजपेयी को अजात शत्रु भी कहा जाता है. अजात शत्रु का मतलब जिसका कोई शत्रु न […]

Atal Bihari Vajpajee
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  • Last Updated: December 25, 2021 12:03:28 IST

नई दिल्ली : New Delhi

अटल बिहारी बाजपेयी Atal Bihari Vajpapee एक बहुआयामी व्यक्तित्व, वाक्पटुता के महाधनी, शिष्ट हाजिर जवाब, मुखर आलोचल, प्रखर वक्ता, बड़े कवि, पत्रकार और भारत के तीन बार प्रधानमंत्री बनने वाले राजनेता थे. अटल बिहारी बाजपेयी को अजात शत्रु भी कहा जाता है. अजात शत्रु का मतलब जिसका कोई शत्रु न हो यानि जो अपने शत्रुओं को भी मित्र बना ले.

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अटल बिहारी हमेशा विपक्ष का अहम चेहरा होते थे. और ऐसा कहा जाता है. कि वे अकेले ही सम्पूर्ण विपक्ष होते थे. जो अपने तर्कों, तथ्यों और हाजिर जवाबी से सत्तापक्ष व विरोधियो चित्त कर देते थे.

वे पहले लोकसभा या फिर राज्यसभा से संसद पहुंचते थे. कुल मिलाकर वे सदन में पहुंचते जरूर थे. उनका मानना था कि विपक्ष में विरोध होता है शत्रुता नहीं. वो ऐसे जन नेता थे जो अपनी कविताओं से साथी और विरोधी दोनों का दिल जीत लिया करते थे. कवित्व का गुण उनमें जन्मजात था जो विरासत उन्हें पिता से मिला था.

अटल जी का प्रारम्भिक जीवन

अटल जी का जन्म मध्यप्रदेश के ग्वालियर जिले के बटेश्वर गांव में एक मध्यवर्गीय परिवार में 25 दिसम्बर सन् 1924 हुआ. उनके पिता जी भी एक शिक्षक और कवि थे. जिनका नाम कृष्ण बिहारी वाजपेयी था. अटल जी की मां का नाम कृष्णा देवी था जो एक गृहणी थी. अटल जी कुल सात भाई-बहन थे. अटल जी ने हाई स्कूल सरस्वती शिक्षा मन्दिर गोरखी, और स्नातक डीएवी (DAV) कॉलेज कानपुर से अर्थशास्त्र में किया. काव्य- साहित्य, दर्शन, प्रश्नोत्तरी, वाद-विवाद प्रतियोगिता और राजनीति की बारीकियों को करीने से समझने में गहरी रूचि रखना अटल जी का पसन्ददीदा शौक था.

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इसके अलावा उन्होने अपने छात्र जीवन के दौरान सन् 1939 में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ में भी अहम भूमिका निभाई. अटल बिहारी राइट विंग के नेता माने जाते थे. लेकिन उन्होने हमेशा पार्टी लाइन की विचाधारा से ऊपर उठकर काम किया. शायद इसलिये उनके बारे में कहा जाता गया अ राइट मैन इन दा रॉग पार्टी. यानि एक सही आदमी जो गलत पार्टी में है.

एक बार उनसे एक पत्रकार ने सवाल किया कि आपके बारे में कहा जाता है कि आप सही आदमी हैं लेकिन एक गलत पार्टी में हैं. क्या कहना है? इस सवाल पर अटल जी ने एक लम्बी सांस खींचते हुए कहा कि अगर मैं सही आदमी हूं, तो गलत पार्टी में कैसे हो सकता हूं. और पार्टी कैसे गलत हो सकती है. जब फल सही है तो पेड़ गलत कैसे हो सकता है. आखिर बबूल के पेड़ में आम का फल कैसे लग सकता है.

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अटल जी का राजनीतिक कारवां

• सन 1942 में बाजपेयी जी ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरूवात की. इस दौरान भारत छोड़ो मोमेंट बहुत तेजी से चल रहा था. इस आन्दोलन में सक्रिय रहे अटल जी के भाई को गिरफ्तार कर लिया गया. जिन्हें तेईस दिनों तक जेल में रखने के बाद रिहा कर दिया गया. इस दरम्यान इनकी मुलाकात श्यामा प्रसाद मुखर्जी से हुई. श्यामा प्रसाद के आग्रह पर अटल जी ने भारतीय जनसंघ को ज्वाइन कर लिया.

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• साल 1951 में भारतीय जनसंघ पार्टी का गठन हुआ. साल 1957 में जनसंघ ने अटलबिहारी बाजपेयी को यूपी की बलरामपुर लोकसभा सीट पर अपना उम्मीदवार घोषित किया. बलरामपुर लोकसभा सीट से अटल जी ने अपनी पहली जीत दर्ज की. इसके बाद उनके राजनीतिक कौशल को देखते हुए उन्हें पार्टी अध्यक्ष बनाया गया

• दो साल 1977 से 1979 तक मोरार जी देसाई की सरकार में अटल जी विदेशमंत्री रहे. इस दौरान भारत की विदेशो में खास पृष्ठभूमि तैयार हुई.

• सन् 1980 में अटल जी ने भारतीय जनता पार्टी का गठन किया. 6 अप्रैल सन् 1980 को भारतीय जनता पार्टी का बतौर अध्यक्ष कार्यभार सम्हाला. सन् 1996 का लोकसभा चुनाव भारतीय जनता पार्टी का विजयी चुनाव रहा. इसी चुनाव से बीजेपी ने पहली बार देश की सत्ता पर अपनी सरकार को स्थापित किया. यह सरकार मात्र तेरह दिनों तक चली. और अटलबिहारी बाजपेयी देश के दसवें प्रधानमंत्री बने.

• 13 दिन की सरकार गिरने के बाद अटल जी ने एक जबर्दस्त भाषण दिया जो आज भी राजनीतिक विसंगतियों में अक्षुणता की मिशाल के तौर पर याद किया जाता है. इस भाषण में अटल जी ने कहा था. “सांसदों के खरीदने और बिकने से बनने बिगड़ने वाली सरकार को मैं चीमटे से भी छूने से मना करता हूं”

• 13 दिन प्रधानमंत्री रहने के बाद साल 1998 में अटल जी फिर सत्ता में आ गए और दूसरी बार 19 मार्च 1998 को प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली. यह सरकार करीब एक साल तक चली. इसके बाद सन् 10 अक्टूबर सन् 1999 को तीसरी बार प्रधानमंत्री बने

प्रधानमंत्री रहते हुए अटल जी की उपलब्धियां

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प्रधानमंत्री बनने के बाद अटल जी ने सबसे पहले राजस्थान के पोखरण में सन् 1998 में 11 और 13 मई को पांच भूमिगत परमाणु परीक्षण विस्फोट करवाकर भारत को परमाणु सम्पन्न देश बनाया. यह बहुत ही गोपनीय और साससिक कदम था. इससे दुनिया में भारत की अलग साख बनी.

पाकिस्तान से रिश्ते सुधारने की पहल

अटल जी का मानना था कि आप पड़ोसी नहीं बदल सकते हैं. पड़ोसी के साथ सम्बन्ध मधुर रखना चाहिए. इसलिए उन्होने पाकिस्तान से रिश्ते सुधारने के लिये 19 फरवरी 1999 को दिल्ली से लाहौर तक सीधे बस सेवा शुरू की और इसे सदा-ए-सरहद नाम से नवाजा गया. इसके अलावा भी पाकिस्तान से रिश्ते सुधारने की तमाम कोशिशें की. उन्होने पाकिस्तान का दौरा भी किया. वहां के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से मुलाकात भी की और उन्हें आगरा भी बुलाया.

कारगिल युद्ध विजय 

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सन् 1999 में अटल जी पाकिस्तान दौरे पर गए थे. उसी दौरान परवेज मुशर्रफ ने पाकिस्तानी सेना और आतंकवादियों के साथ मिलकर कारगिल की कई पहाड़ियों पर कब्जा कर लिया. तब सेना को खुली छूट देते हुए अटल जी ने कहा. “पाकिस्तान ने स्याह रात घने अंधेरे में हमारी पीठ पर छूरा घोंपा है, इसका माकूल जवाब दिया जाएगा” उसके बाद भारतीय सेना ने कारगिल की चोटियों को फतह करते हुए पाकिस्तान को धूल चटाई.

स्वर्णिम चतुर्भुज योजना

अटल जी ने देश के चारों कोनों को सड़कों के माध्यम से जोड़ने के लिये स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना की शुरूवात की. इसके अन्तर्गत कोलकाता, चेन्नई और मुंबई जैसे बड़े और अन्य प्रमुख शहरों को हाईवे से जोड़ा गया. ऐसा कहा जाता है कि अटल जी ने देश में सड़कों का जाल बिछाने के बहुत काम किया.

अटल जी से जुड़े विवाद

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अटल जी को हमेशा एक साफ सुथरी छवि के नेता के तौर पर जाना जाता है. लेकिन बाबरी मस्जिद विध्वंस के विवाद में अटल जी की भूमिका पर सवाल खड़े किये जाते हैं. क्योंकि मंदिर आन्दोलन के दौरान कई बीजेपी नेताओं ने मस्जिद के खिलाफ रैली निकाली थी. जिसके बारे में उनसे पूंछे जाने पर उन्होने कहा जो कुछ हुआ वह गलत हुआ हम उसके पक्ष में नहीं थे.

कंधार हाईजैक 

24 दिसंबर 1999 को काठमांडू से दिल्ली के लिये उड़ान भर रहे एक विमान को हथियारबंद आतंकियों ने हाईजैक कर लिया. इस जहाज में 176 यात्रियों समेत 15 क्रू मेम्बर्स सवार थे. विमान में सवार सभी लोगों की जान बचाने के बदले भारत को तीन आतंकियों मसूद अजहर, उमर शेख और अहमद जरगर को रिहा करना पड़ा था. इस मामले में अटल जी की बड़ी किरकिरी हुई थी. वहीं विपक्ष का कहना था कि आतंकियों को बिना छोड़े भी लोगों की जान बचाई जा सकती थी.

कारगिल युद्ध विवाद

कारगिल युद्ध को लेकर भी अटल जी की नीतियों पर सवाल खड़े किये जाते हैं. कि वे पाकिस्तान के चलन चरित्र और चेहरे को नहीं समझ सके. उनकी नीतियां नाकाम रहीं.

कुंवारापन को लेकर विवाद

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अटल जी खुद को अविवाहित कहते थे कुंवारा नहीं. एक बार उनसे एक पत्रकार ने सवाल किया गया कि क्या आप कुंवारे हैं तो उन्होने जवाब दिया कि अविवाहित हूं कुंवारा नहीं.

एक बार उनसे एक और पत्रकार ने पूंछा वाजपेयी जी चीन पाकिस्तान और कश्मीर के अलावा बताइये कि ये मिसेज कौल का क्या मामला है?. तब अटल जी ने एक सहज मुस्कान के साथ जवाब दिया कश्मीर जैसा.

एक बार एक महिला पत्रकार ने उनसे पूंछा कि आप अभी तक कुंवारे क्यों हैं?
तो उन्होने पलटकर जवाब दिया कि आदर्श पत्नी की खोज में फिर पत्रकार ने पूंछा कि अभी तक नहीं मिली. तो उन्होने जवाब दिया कि मिली थी लेकिन उसे भी एक आदर्श पति की तलाश थी.

अटल जी की संपत्ति

अटल जी की कुल सम्पत्ति दो मिलियन डॉलर आंकी जा रही है. जिसमें दिल्ली के ईस्ट कैलाश में एक फ्लैट भी शामिल है. जिसकी कीमत करोड़ो रूपए बताई जा रही है.

अटल जी की प्रमुख रचनाएं

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अटल जी एक कुशल प्रधानमंत्री के साथ-साथ एक बेहतरीन लेखक, कवि और टीकाकार रहे हैं. उनकी कुछ प्रकाशित रचनाएं इस प्रकार हैं.

भारत की विदेश नीति: नई डायमेंशन
राजनीति की रपटीली राहें
राष्ट्रीय एकीकरण
क्या खोया क्या पाया
मेरी इक्यावन कविताएं
न दैन्यं न पलायनम्
21 कविताएं
डिसीसिव डेज़
असम समस्या: दमन समाधान नहीं
शक्ति से सती
बैक टू स्क्वॉयर वन
डायमेंसन ऑफ ऐन ओपन सोसाइटी

पुरस्कारों में

1 पद्म विभूषण 1992 भारत सरकार
2 डॉक्टर ऑफ लेटर 1993 कानपुर विश्वविद्यालय
3 उत्कृष्ट संसदीय पुरस्कार 1994 भारतीय संसद
4 लोकमान्य तिलक पुरस्कार 1994 भारत सरकार
5 भारत रत्न पंडित गोविंद वल्लभ पंत पुरस्कार 1994 भारत सरकार
6 भारत रत्‍न 2015 भारत सरकार
7 बांग्लादेश लिबरेशन वार सम्मान 2015 बांग्लादेश सरकार

अटल जी की प्रमुख कविताएं-

क़दम मिला कर चलना होगा
दूध में दरार पड़ गई
मनाली मत जइयो
क्षमा याचना
अंतरद्वंद्व
पुनः चमकेगा दिनकर
मौत से ठन गई
जीवन की ढलने लगी साँझ
एक बरस बीत गया
मैं न चुप हूँ न गाता हूँ
आओ फिर से दिया जलाएँ
कौरव कौन, कौन पांडव

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