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मुस्लिम बहुल इलाकों में बंपर वोटिंग, दूसरे क्षेत्रों में कम, उड़ी भाजपा की नींद

चुनाव आयोग ने देर रात 11.30 बजे जो आंकड़े जारी किये उसके मुताबिक 60.42 फीसद मतदान हुआ है जो कि 2020 के चुनाव से 2 फीसद कम है. मुस्लिम बहुल इलाकों में बंपर वोटिंग हुई है.

Voting Percentage in Delhi Election
inkhbar News
  • Last Updated: February 6, 2025 08:20:02 IST

नई दिल्ली. बुधवार को हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर एक्जिट पोल आ गये हैं. अधिकांश में भाजपा को बढ़त दिखाई गई है. 1-2 पोल में आप का पलड़ा भारी बताया गया है. चुनाव आयोग ने देर रात 11.30 बजे जो आंकड़े जारी किये उसके मुताबिक 60.42 फीसद मतदान हुआ है जो कि 2020 के चुनाव से 2 फीसद कम है. कुछ मुस्लिम बहुल इलाकों में बंपर वोटिंग हुई है, खासतौर से पूर्वी दिल्ली के मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में.


मुस्लिम इलाकों में बंपर वोटिंग 

मुस्तफाबाद में वोटिंग बाकी मुस्लिम बहुल इलाकों की तुलना में ज्यादा हुई है। पिछले विधानसभा चुनाव में मुस्तफाबाद विधानसभा क्षेत्र में कुल 70.55 प्रतिशत और बल्लीमारान विधानसभा क्षेत्र में मतदान 71 प्रतिशत मतदान हुआ था. इस बार शाम 5 बजे तक मुस्तफाबाद विधानसभा क्षेत्र में 66.68% और सीलमपुर में 66.41% मतदान हुआ। मटिया महल विधानसभा क्षेत्र में भी इसी तर्ज पर हुई. दिल्ली में 11 सीटों को मुस्लिम बहुल सीट माना जाता है. चांदनी चौक, मटियामहल, बल्लीमारन, ओखला, सीमापुरी, सीलमपुर व बाबरपुर जैसी सीटों पर वोटिंग बेहतर है.. चुनाव आयोग के मुताबिक सबसे ज्यादा 66.25 फीसद वोटिंग नार्थ इंस्ट में हुई है जो कि भाजपा सांसद मनोज तिवारी का क्षेत्र है. सबसे कम 56.16 फीसद वोटिंग साउथ ईस्ट में हुई है.

किस चुनाव में कितनी वोटिंग


दिल्ली में विधानसभा का पहला चुनाव 1993 में हुआ था जिसमें 61.57 फीसद वोट पड़े थे. मदनलास खुराना के नेतृत्व में भाजपा की पहली सरकार बनी थी. साल 1998 में हुए दूसरे चुनाव में 48.99 फीसद मतदान हुआ था जिसमें बीजेपी कांग्रेस से बुरी तरह हार गई थी और सत्ता उसके हाथ से चली गई थी. उस चुनाव में प्याज ने भाजपा को खून के आंसू रुला दिया था. कांग्रेस ने 52 सीटें जीती थी और भाजपा को 15 सीटें मिली थीं.  2003 में 53.42 और 2008 में 57.58 फीसद वोटिंग हुई थी. दोनों बार कांग्रेस जीती और सत्ता हासिल करने की हैट्रिक लगाई. शीला दीक्षित तीन बार लगातार दिल्ली की मुख्यमंत्री बनीं.

2013 में दिल्ली के वोटिंग पैटर्न में बदलाव आया और पहली बार 65.63 फीसद वोटिंग हुई जिसमें किसी को बहुमत नहीं मिला. भाजपा के खाते में 32 सीटें आई जबकि आप पहली बार चुनाव लड़ी थी और 28 सीटें जीती. कांग्रेस को 8 सीटें मिली थी और उसी के सहयोग से आप ने अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में 49 दिन की सरकार बनाई थी. 2015 में 67.12 फीसद वोटिंग हुई जिसमें आप की बंपर जीत हुई, कांग्रेस दिल्ली से साफ हो गई थी और भाजपा तीन सीटों पर सिमट गई थी. 2020 में 62.55 फीसद वोटिंग हुई जिसमें आप को 62 सीटें मिली और भाजपा को 8. कांग्रेस एक बार फिर जीरो पर आउट हुई.

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