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ISRO इतिहास रचने की ओर… मून मिशन ‘चंद्रयान-3’ लॉन्च, अगस्त में सॉफ्ट लैंडिंग

हैदराबाद। अंतरिक्ष की दुनिया में भारत ने इतिहास रचने की ओर आगे बढ़ गया है. चंद्रमा के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन का तीसरा मिशन चंद्रयान-3 आज दोपहर 2 बजकर 35 मिनट पर श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च कर दिया गया है. चंद्रयान-3 के जरिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) चंद्रमा के […]

(मून मिशन 'चंद्रयान-3' सफलता पूर्व लॉन्च)
inkhbar News
  • Last Updated: July 14, 2023 14:36:40 IST

हैदराबाद। अंतरिक्ष की दुनिया में भारत ने इतिहास रचने की ओर आगे बढ़ गया है. चंद्रमा के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन का तीसरा मिशन चंद्रयान-3 आज दोपहर 2 बजकर 35 मिनट पर श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च कर दिया गया है. चंद्रयान-3 के जरिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर उतरने वाला है. इस मिशन की सफलता के बाद  भारत दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर उतारने वाला पहला और चंद्रमा पर यान उतारने वाला चौथा देश बन जाएगा. बता दें कि अभी तक अमेरिका, रूस और चीन ही चंद्रमा पर यान उतार सके हैं।

अगस्त में होगी सॉफ्ट लैंडिंग

बताया जा रहा है कि चंद्रयान-3 का प्रक्षेपण अंतरिक्ष में भारी उपग्रह ले जाने के लिए बने रॉकेट एलवीएम-3 एम4 (पूर्व नाम -जीएसएलवी मार्क 3) से होगा. इससे तकरीबन एक महीने बाद 23 या 24 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर विक्रम की सॉफ्ट लैंडिंग करवाई जाएगी. इतना ही नहीं अभी तक चंद्रमा का यह हिस्सा मानव की नजरों से छिपा रहा है.

चंद्रयान-1 और चंद्रयान-2 मिशन के बारे में जानिए…

चंद्रयान 1: पहला चंद्र मिशन

चंद्रयान 1 भारत का पहला चंद्र मिशन रहा. इस प्रोजेक्ट पर इसरो के वैज्ञानिकों की काफी बड़ी टीम खोज कर रही थी. इस प्रोजेक्ट को 22 अक्टूबर 2008 को लांच किया गया था. चंद्रयान-1 के पीछे की प्लानिंग और आईडिया में माधवन नायर ‘इसरो’ के पूर्व प्रमुख ने मुख्य भूमिका निभाई थी. इस मानव रहित यान को चन्द्रमा तक पहुंचाने के लिए 5 दिनों का समय लग गया था. वहीं इसे चन्द्रमा पर स्थापित करने में पूरे 15 दिनों का वक़्त लगा था. जहां तक इसके नाकाम होने का कारण देखा जाए तो करीब 1 साल बाद खराब थर्मल परीक्षण और ऑर्बिटर को स्टार ट्रैकर की विफलता के साथ-साथ कई तकनीकी खराबी का सामना करना पड़ा. यही कारण है कि चंद्रयान 1 निष्फल हो गया. लेकिन वहीं चंद्रयान मिशन से भारत ने एक बहुत बड़ी खोज और सफलता भी पाई, जोकि चन्द्रमा पर पानी होना है.

98% सफल रहा चंद्रयान-2

22 जुलाई 2019, भारत के लिए सबसे बड़ी सफलता और ऐतिहासिक दिन रहा था. रितु करिधल एक वैज्ञानिक जो इसरो के बड़े अंतरिक्ष मिशन चंद्रयान-2 की प्रभारी थीं. अगर सब कुछ योजना के मुताबिक होता तो चंद्रयान-2 चंद्रमा के सबसे दक्षिणी हिस्से पर उतारा जाता. लेकिन कुछ गलतियों की वजह से अपने रास्ते से भटक जाने पर चंद्रयान अपने निर्धारित लक्ष्य से करीब 2.1 किलोमीटर दूर उतरा. अंतरिक्ष यान को नियंत्रित करने के प्रभारी लोगों का भी इससे संपर्क टूट गया. इसी कारण को अपनी प्रेरणा बनाते हुए चंद्रयान 3 की तैयारी शुरू कर दी गयी.

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