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जानिए कौन हैं NDA के उपराष्ट्रपति उम्मीदवार जगदीप धनखड़

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ को मोदी सरकार ने बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। NDA ने अब अपने उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार की घोषणा कर दी है। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ अब सत्ताधारी NDA की ओर से उपराष्ट्रपति चुनाव लड़ने जा रहे हैं। […]

jagdeep dhankhar
inkhbar News
  • Last Updated: July 16, 2022 20:48:27 IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ को मोदी सरकार ने बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। NDA ने अब अपने उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार की घोषणा कर दी है। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ अब सत्ताधारी NDA की ओर से उपराष्ट्रपति चुनाव लड़ने जा रहे हैं। ऐसे में ये जानना जरूरी है कि आखिर पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ कौन हैं?

जनता दल से की थीं राजनीति की शुरुआत

अपनी राजनीति की शुरुआत 68 वर्षीय धनखड़ ने जनता दल से की थी। धनखड़ 1989 में झुंझनुं से सांसद बने जिसके बाद में वे चन्द्रशेखर सरकार में मंत्री भी रहें थें। बाद में धनखड़ ने जनता दल छोड़ने का फैसला लिया और वे कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए।अजमेर के किशनगढ से कांग्रेस पार्टी ने उन्हें 1993 में टिकट दिया था, जिसके बाद वे विधायक बन गए। वहां पर धनखड़ भाजपा के जगजीत सिंह से करीब डेढ हजार वोट से हारे थें। अपनी विधायकी की पारी खेलने के बाद धनखड़ का कांग्रेस से विश्वास खत्म हो गया था और जिसके बाद वे भाजपा में शामिल हो गए।

राजस्थान हाईकोर्ट से की थी वकालत की पढ़ाई

धनखड़ ने राजस्थान विश्वविद्यालय से कानून की पढाई पूरी की थी। वकालत की शुरुआत भी उन्होंने राजस्थान हाईकोर्ट से की थी। वे राजस्थान बार काउसिंल के चेयरमेन भी रहे थे। जगदीप धनखड़ के परिवार में उनके भाई रणदीप धनखड़ कांग्रेस में है। उन्हें पिछली कांग्रेस सरकार में राजस्थान पर्यटन विकास निगम का चेयरमेन भी बनाया गया था। जगदीप धनखड़ के एक और भाई कुलदीप धनखड़ भी भाजपा में रहे थे। उन्होंने पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा से टिकट भी मांगा था। आपको बता दें, उन्हें टिकट नहीं दिया गया था। धनखड़ ने 40 हजार वोट लेते हुए भाजपा का समीकरण खराब कर दिया था और वहां से कांग्रेस ने चुनाव में जीत हासिल कर ली थीं।

अब तीनों ही भाईयों की राजनीति अलग अलग ढंग से चल रही है। एक भाई पश्चिम बंगाल में जिम्मेदारी संभालेंगे तो दूसरे भाई रणदीप भी मौके के इंतजार में है वहीं तीसरे भाई कुलदीप भी नई राह पर चल रहे हैं।

 

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