Inkhabar
  • होम
  • top news
  • Narco Test: जानिए क्या होता है नार्को टेस्ट? कोर्ट में क्यों नहीं है इसकी वैलिडिटी

Narco Test: जानिए क्या होता है नार्को टेस्ट? कोर्ट में क्यों नहीं है इसकी वैलिडिटी

Narco Test: नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में हुए श्रद्धा हत्याकांड की गुत्थी अभी सुलझती नहीं नजर आ रही है। ये केस अब अपने आप में एक पहेली बन गया है। आरोपी आफताब किसी सीरियल किलर की तरह लगातार जांच टीम को गुमराह कर रहा है। इसी बीच दिल्ली पुलिस ने साकेत कोर्ट से आरोपी […]

(नार्को टेस्ट)
inkhbar News
  • Last Updated: November 23, 2022 09:10:52 IST

Narco Test:

नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में हुए श्रद्धा हत्याकांड की गुत्थी अभी सुलझती नहीं नजर आ रही है। ये केस अब अपने आप में एक पहेली बन गया है। आरोपी आफताब किसी सीरियल किलर की तरह लगातार जांच टीम को गुमराह कर रहा है। इसी बीच दिल्ली पुलिस ने साकेत कोर्ट से आरोपी के नार्को टेस्ट की मांग की थी, जिसकी अदालत ने अनुमति दे दी है। पुलिस नार्को टेस्ट के जरिए आफताब से हत्या का राज खुलवाना चाहती है।

आइए आपको बताते हैं कि नार्को टेस्ट क्या होता है और कोर्ट में इसकी वैलिडिटी क्यों नहीं होती है?

जानें नार्को टेस्ट क्या होता है?

नार्को टेस्ट किसी आरोपी से सही बात उगलवाने के लिए किया जाता है। इस प्रक्रिया में सबसे पहले शख्स को नशे की दवाएं दी जाती हैं। जिनमें सोडियम पेंटोथल, स्कोपोलामाइन और सोडियम अमाइटल शामिल हैं। जब दवा आरोपी के शरीर के अंदर जाती है तो वह एनेस्थीसिया के कई स्टेज से गुजरता है। मतलब वह एक तरीके से संवेदना शून्य हो जाता है। आरोपी ना तो बेहोश होता है और ना ही पूरी तरह से होश में होता है। उस समय उसकी कल्पना शक्ति बेहद कम हो जाती है और वह सिर्फ सच बोलता है। यही कारण है कि पुलिस सच का पता लगाने के लिए नार्को टेस्ट कराती है।

कैसे किया जाता है नार्को टेस्ट?

भारत में नार्को टेस्ट के लिए सबसे पहले अदालत से इजाजत लेनी पड़ती है। इसके बाद आरोपी से सहमित ली जाती है। बाद में उसे सरकारी अस्पताल ले जाया जाता है। जहां पर आरोपी का ब्लड प्रेशर, पल्स, बल्ड फ्लो और मानसिक स्थिति की जांच की जाती है। इसके लिए आरोपी की ब्रेन मैपिंग और पॉलीग्राफ टेस्ट भी किया जाता है। इसके बाद उसे दवा देकर आधी बेहोशी की हालत में ले जाया जाता है। फिर सवाल-जवाब शुरू होता है। बता दें कि इस दौरान वहां पर आरोपी के जवाबों का विश्लेषण करने के लिए फोरेंसिक एक्सपर्ट, मनोवैज्ञानिक, ऑडियो-वीडियोग्राफर और सहायत नर्सिंग स्टाफ के साथ ही वरिष्ठ पुलिस अधिकारी भी मौजूद होते हैं।

भारत में क्यों नहीं है वैलिडिटी?

गौरतलब है कि भारत की अदालतों में कानूनी तौर पर सबूत के लिए नार्को टेस्ट की रिपोर्ट को स्वीकार नहीं किया जाता है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के मुताबिक दवा के इस्तेमाल के बाद इस बात की कोई गारंटी नहीं होती है कि आरोपी शख्स सिर्फ सही बात ही बोले। वह उस समय होश-हवास में नहीं होता है और एनेस्थीसिया की स्थिति में अपनी इच्छा से स्टेटमेंट नहीं दे रहा होता है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है कि नार्को टेस्ट की मदद से खोजी गई किसी जानकारी को सबूत के तौर पर अदालत में पेश किया जा सकता है।

यह भी पढ़ें-

Russia-Ukraine War: पीएम मोदी ने पुतिन को ऐसा क्या कह दिया कि गदगद हो गया अमेरिका

Raju Srivastava: अपने पीछे इतने करोड़ की संपत्ति छोड़ गए कॉमेडी किंग राजू श्रीवास्तव