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Mission 2024: वो फैक्टर्स जिनके बलबूते विपक्ष को साधने की कोशिश में लगे सुशासन बाबू

पटना. लोकसभा चुनाव में अब भले ही डेढ़ साल का वक्त बाकी हो, लेकिन सियासी ताना-बाना अभी से बुनना शुरू हो गया है. 2024 में नरेंद्र मोदी के खिलाफ चेहरा बनने के लिए नेताओं की बहुत लंबी कतार है. ममता बनर्जी से लेकर अरविंद केजरीवाल – केसीआर तक हर कोई अपनी दावेदारी पेश करने की […]

Mission 2024
inkhbar News
  • Last Updated: September 6, 2022 16:58:00 IST

पटना. लोकसभा चुनाव में अब भले ही डेढ़ साल का वक्त बाकी हो, लेकिन सियासी ताना-बाना अभी से बुनना शुरू हो गया है. 2024 में नरेंद्र मोदी के खिलाफ चेहरा बनने के लिए नेताओं की बहुत लंबी कतार है. ममता बनर्जी से लेकर अरविंद केजरीवाल – केसीआर तक हर कोई अपनी दावेदारी पेश करने की फ़िराक में है. इस बीच बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पाला बदलने के साथ ही अब विपक्ष को एकजुट करने का बीड़ा उठाया है, शुरू से नीतीश कुमार कह रहे हैं कि वो प्रधानमंत्री बनने के लिए बिल्कुल भी इच्छुक नहीं है, वो तो सिर्फ विपक्ष को एकजुट करने का काम कर रहे हैं लेकिन राजनीति में कुछ भी नहीं कहा जा सकता, कब किसकी कौनसी महत्वकांक्षा जाग उठे ये नहीं कहा जा सकता. ऐसे में ये नहीं कहा जा सकता कि नीतीश पीएम बनने के इच्छुक नहीं है.

नीतीश कुमार इस समय तीन दिन के दिल्ली दौरे पर है, इस समय वो विपक्ष को एकजुट करने में लगे हैं. इसी कड़ी में नीतीश ने सोमवार को राहुल गांधी और कुमारस्वामी से मुलाकात की थी तो मंगलवार को उनकी मुलाकात सीपीआई (एम) नेता सीताराम येचुरी और अरविंद केजरीवाल से हुई है और अब वो ओमप्रकाश चौटाला से मिलने पहुंचे हैं.

इन तमाम प्रयासों के बीच बड़ा सवाल यही है कि मोदी के सामने विपक्ष का चेहरा आखिर कौन होगा? नीतीश कुमार की बात करें तो पांच ऐसे फैक्टर हैं जिनके आधार पर वो 2024 में विपक्ष का चेहरा बनने की जद्दोजहद में लगे हैं, आइए आपको बताते हैं:

विपक्ष को नेता की तलाश

भाजपा के खिलाफ माहौल बनाने और 2024 के चुनाव में नरेंद्र मोदी के सामने विपक्ष का चेहरा बनने की जंग है, ऐसे में विपक्ष के नेताओं में राहुल गांधी से लेकर ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल, केसीआर और नीतीश कुमार तक कई नेता दावेदार हैं और विपक्षी दलों को इस समय एक ऐसे नेता की तलाश है, जिस पर सभी दल एकमत हो सकें. एक तरफ जहाँ राहुल गांधी के नाम पर ममता, केजरीवाल और केसीआर तैयार नहीं हैं तो कांग्रेस भी इन तीनों में से किसी के नाम पर सहमत नहीं दिख रही है. अब बिहार के सुशासन बाबू नीतीश कुमार ने विपक्षी दलों को एक करने की कवायद शुरू कर दी है.

तेजस्वी यादव से लेकर अखिलेश यादव तक हर कोई नीतीश के नाम पर रजामंद हैं तो केसीआर भी साथ खड़े हैं. देवगौड़ा ने नीतीश के नाम पर हरी झंडी दिखा दी है. ऐसे में नरेंद्र मोदी के सामने विपक्ष की ओर से एक मजबूत नेता की जो तलाश की जा रही है, उसकी भरपाई नीतीश कुमार के रूप में ही की जा सकती है. जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में नीतीश कुमार को 2024 के चुनाव में विपक्ष का चेहरा बनाने का लक्ष्य रखा गया है. ऐसे में माना जा रहा है कि नीतीश कुमार के चेहरे पर विपक्ष के ज्यादातर दल अपनी सहमति दर्ज कर सकते हैं.

नीतीश की स्वच्छ छवि

विपक्ष के नेताओं में अगर नीतीश कुमार की बात करें तो उनके पास एक लंबा राजनीतिक अनुभव है. नीतीश बिहार में 15 साल से ज्यादा समय से मुख्यमंत्री रहे हैं, लेकिन अब तक उनके ऊपर भ्रष्टाचार का कोई भी दाग नहीं लगा है. नीतीश साफ-सुथरी छवि वाले नेता माने जाते हैं, और इस बात को तो भाजपा के नेता भी मानते हैं. नीतीश की यह सियायी ताकत उन्हें 2024 के चुनाव में विपक्षी एकता का सूत्रधार ही नहीं बल्कि मोदी के खिलाफ चेहरा बनाने में भी मददगार साबित हो सकती है, नीतीश कुमार राजनीतिक रूप से काफी संतुलन बनाकर चलने वाले नेताओं में से एक माने जाते हैं, ऐसे में नीतीश को विपक्ष का चेहरा बनाया जा सकता है क्योंकि इसमें सहयोगी दलों को भी किसी तरह की कोई दिक्कत होगी.

ओबीसी फैक्टर में फिट नीतीश

देश की सियासत ओबीसी के इर्द-गिर्द सिमटी हुई हैं ऐसे में विपक्ष के लिए नीतीश कुमार ट्रम्प कार्ड साबित हो सकते हैं, क्योंकि वो ओबीसी के कुर्मी समुदाय से आते हैं. और बिहार से बाहर यूपी, मध्य प्रदेश, राजस्थान में कुर्मी बीजेपी का परंपरागत वोटर है. नीतीश कुमार विपक्ष का चेहरा बनते हैं तो भाजपा की कुर्मी वोट बैंक ही नहीं बल्कि ओबीसी समीकरण भी बिगड़ सकता है. भाजपा ने नरेंद्र मोदी को ओबीसी चेहरे के तौर पर पेश कर अपने सियासी समीकरण को मजबूत किया था, वहीं मौजूदा समय में विपक्षी खेमे से जो भी चेहरे प्रधानमंत्री पद के लिए दावेदार माने जा रहे हैं, उसमें नीतीश कुमार को छोड़कर कोई भी दूसरा ओबीसी नेता नहीं है. इसलिए ये नीतीश कुमार के लिए बड़ा प्लस प्वाइंट बन रहा है.

कांग्रेस को भी स्वीकार्य हो सकते हैं नीतीश

2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ कांग्रेस के बिना विपक्षी एकता बिल्कुल भी संभव नहीं है, दरअसल कांग्रेस के बगैर कोई गठबंधन बनता भी है तो वो भाजपा को देशभर में चुनौती नहीं दे पाएगा. विपक्ष में कांग्रेस ही एकलौती पार्टी है, जिसका सियासी आधार देशभर में है इसलिए विपक्ष की ओर जो भी चेहरे सामने आ रहे हैं, कांग्रेस उनमें से किसी पर भी सहमत होती नहीं दिख रही है.

इस संबंध में कांग्रेस ममता बनर्जी से लेकर केजरीवाल और केसीआर पर भी राजी नहीं है. ऐसे में बीजेपी को तीसरी बार सत्ता में आने से रोकने की मजबूरी में कांग्रेस नीतीश कुमार को स्वीकार्य कर सकती है और इसके पीछे कारण भी हैं. दरअसल, जेडीयू में नीतीश ही सबसे बड़े चेहरे हैं और उनकी पार्टी में उनके परिवार से कोई सियासी वारिस नहीं है अब जेडीयू के बढ़ने से कांग्रेस को अपना कोई भी राजनीतिक नुकसान नहीं दिख रहा है. बिहार में जेडीयू के साथ मिलकर कांग्रेस सरकार में भी शामिल है, ऐसे में कांग्रेस नीतीश कुमार के नाम पर मुहर लगा सकती है.

अन्य दलों को भी एकजुट कर सकते हैं नीतीश

कांग्रेस की अगुवाई में विपक्षी एकजुटता होती नहीं दिख रही है और यह बात उपराष्ट्रपति के चुनाव के समय ही साफ़ हो गई थी. उस समय ममता से लेकर मायावती, चंद्रबाबू नायडू तक विपक्ष के साथ नहीं आए थे. 2024 में मोदी के खिलाफ विपक्षी एकता की जिस तरह की कोशिशें की जा रही हैं, उसमें कांग्रेस को माइनस रखा जा रहा है. इस तरह तीसरे मोर्चे की कवायद की जा रही है, लेकिन नीतीश कुमार सभी विपक्षी दलों को एकजुट करने की मुहिम में जुटे हैं, ऐसे में नीतीश गैर-बीजेपी, गैर-कांग्रेसी सभी दलों को एक साथ लाने के मिशन पर हैं. और वो ऐसा कर भी सकते हैं.

 

 

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