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सुप्रीम कोर्ट की जांच आयोग ने हैदराबाद एनकाउंटर को बताया फर्जी, पुलिसवालों को ठहराया दोषी

हैदराबाद एनकाउंटर: नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित आयोग ने आज 2019 के चर्चित हैदराबाद एनकाउंटर को फर्जी बता दिया है. आयोग ने इसके लिए कुछ पुलिसवालों को इसका दोषी ठहराया है. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने का आदेश दिया है. इसके साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने […]

हैदराबाद एनकाउंटर -सुप्रीम कोर्ट
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  • Last Updated: May 20, 2022 15:19:35 IST

हैदराबाद एनकाउंटर:

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित आयोग ने आज 2019 के चर्चित हैदराबाद एनकाउंटर को फर्जी बता दिया है. आयोग ने इसके लिए कुछ पुलिसवालों को इसका दोषी ठहराया है. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने का आदेश दिया है. इसके साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने आगे की कार्रवाई के लिए इस मामले को तेलंगाना हाई कोर्ट भेज दिया है।

2019 में हुआ था एनकाउंटर

बता दें कि हैदराबाद में 26 नवंबर 2019 की रात को एक 27 साल की वेटनरी डॉक्टर की दुष्कर्म के बाद हत्या की गई थी. जिसके बाद 6 दिसंबर को तड़के सुबह करीब 3 बजे तेलंगाना पुलिस ने चारों आरोपियों को कथित एनकाउंटर में मार गिराया था. इस एनकाउंटर पर कुछ दिनों बाद सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व जज जस्टिस वी एस सिरपुरकर की अध्यक्षता में जांच आयोग गठित किया।

कोरोना की वजह से जांच में हुई देरी

गौरतलब है कि जस्टिस सिरपुरकर आयोग को सुप्रीम कोर्ट ने काम शुरू होने के 6 महीने के अंदर ही रिपोर्ट देने के लिए कहा गया था. इस जांच आयोग को अगस्त 2020 में अपनी रिपोर्ट को पूरा कर सुप्रीम कोर्ट को सौंपना था. लेकिन कोरोना वायरस की वजह से रिपोर्ट सौंपने में देरी हुई. आखिरकार साल 2022 के शुरूआत में जांच आयोग ने अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंप दी।

रिपोर्ट गोपनीय रखने के अनुरोध को ठुकराया

जांच आयोग की रिपोर्ट को आज चीफ जस्टिस एन वी रमना की अध्यक्षता वाली बेंच ने खोला. इस दौरान तेलंगाना सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील श्याम दीवान ने कहा कि रिपोर्ट को फिलहाल गोपनीय रखा जाए. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस अनुरोध को ठुकरा दिया।

पुलिसवाले ठहराए गए दोषी

जांच रिपोर्ट देखने के बाद चीफ जस्टिस एन वी रमना ने कहा कि इसमें गोपनीयता जैसी कोई बात नहीं है. ये जांच सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ही शुरू हुई है और इसमें कुछ लोगों को दोषी पाया गया है. अब तेलंगाना सरकार इस जांच रिपोर्ट के आधार पर जरूरी कार्रवाई करे. शीर्ष अदालत ने कहा कि अब हम इस मामले की निगरानी नहीं करना चाहते है. ये रिपोर्ट सभी पक्ष पढ़ें और आगे की राहत के लिए तेलंगाना हाई कोर्ट में अपनी बात रखें।

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