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Opposition Meeting in Patna:: अध्यादेश पर फैसला संसद में होगा… केजरीवाल को खरगे का जवाब

पटना: कुछ ही देर में बिहार की राजधानी पटना में लोकसभा चुनाव के लिए एकजुट हुए विपक्षी दलों की बैठक होने जा रही है. इस बीच विपक्ष के 15 दलों के नेता शामिल होंगे जिसमें कांग्रेस जैसे राष्ट्रीय दल से लेकर JDU-TMC जैसे क्षेत्रीय दल भी शामिल हैं. हालांकि विपक्षी दलों के बीच एकता दिखने […]

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  • Last Updated: June 23, 2023 09:50:35 IST

पटना: कुछ ही देर में बिहार की राजधानी पटना में लोकसभा चुनाव के लिए एकजुट हुए विपक्षी दलों की बैठक होने जा रही है. इस बीच विपक्ष के 15 दलों के नेता शामिल होंगे जिसमें कांग्रेस जैसे राष्ट्रीय दल से लेकर JDU-TMC जैसे क्षेत्रीय दल भी शामिल हैं. हालांकि विपक्षी दलों के बीच एकता दिखने से पहले ही दरार दिखनी शुरू हो गई है.

अध्यादेश बनाम राज्यों के मुद्दे पर खरगे

दरअसल इस समय दिल्ली शासित आम आदमी पार्टी केंद्र द्वारा लाए गए अध्यादेश के खिलाफ सभी विपक्षी दलों का समर्थन जुटाने में लगी है. इस बीच खबर आ रही है कि यदि कांग्रेस राज्यसभा में अध्यादेश के खिलाफ AAP का समर्थन नहीं करेगी और आम आदमी पार्टी आज पटना में आयोजित विपक्षी दलों की बैठक का बायकॉट कर सकती है. अब इसपर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का बयान सामने आया है. उन्होंने विपक्षी दलों की बैठक को लेकर पत्रकारों से कहा, हम सभी भाजपा के खिलाफ एक साथ लड़ना चाहते हैं और हमारा एजेंडा भाजपा सरकार को हटाना है.हम संसद सत्र से पहले इस पर (केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ आप को समर्थन देने पर) फैसला लेंगे।

 

ऐसे में खरगे ने साफ़ कर दिया है कि कांग्रेस आम आदमी पार्टी के खिलाफ केंद्र सरकार के अध्यादेश पर अपना फैसला संसद सत्र से पहले ही सुनाएगी. फिलहाल के लिए उसकी रणनीति लोकसभा चुनाव को लेकर विपक्षी दलों की बैठक पर केंद्रित है.

 

किसे क्या मिलेगा पर सवाल

विपक्षी जुटान में सिर खपा चुके नीतीश कुमार से शरद पवार पहले ही कह चुके हैं कि कांग्रेस के बिना विपक्ष की कल्पना नहीं की जा सकती है. पवार की इसी राजनीति को फिक्स करने के लिए नीतीश कुमार पहले 10 सवाल करेंगे जिसके बाद वह अपने हाथों में नेतृत्व लेंगे. बता दें, विपक्षी दलों की बैठक पहले 12 जून को थी लेकिन इसे 23 जून को फिक्स कर दिया गया. ठोक-पीटकर नीतीश कुमार इस मुहीम को आगे बढ़ा रहे हैं क्योंकि कहीं न कहीं नीतीश कुमार भी ये जानते हैं कि उनकी मुहीम सफल हुई तो उन्हें केंद्र सरकार में बड़ा रोल मिलेगा. दूसरी ओर कांग्रेस भी जानती है कि उसके बिना विपक्ष का काम नहीं चलेगा. इस बीच पवार और ठाकरे के हाथों क्या आएगा इसपर भी सवाल खड़े हो रहे हैं.