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Kalaram Temple: नासिक के कालाराम मंदिर में काले क्यों हैं भगवान श्रीराम?

नासिक/मुंबई: 22 जनवरी को अयोध्या में बने रहे भव्य राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होगी, जिसे लेकर पूरे देश में तैयारियां हो रही हैं. प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में देशभर से लाखों लोगों के अयोध्या पहुंचने की उम्मीद है. लेकिन, अयोध्या के राम मंदिर में होने वाले प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले हम आपको […]

(कालाराम मंदिर)
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  • Last Updated: January 12, 2024 14:33:35 IST

नासिक/मुंबई: 22 जनवरी को अयोध्या में बने रहे भव्य राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होगी, जिसे लेकर पूरे देश में तैयारियां हो रही हैं. प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में देशभर से लाखों लोगों के अयोध्या पहुंचने की उम्मीद है. लेकिन, अयोध्या के राम मंदिर में होने वाले प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले हम आपको भगवान राम के एक अन्य मंदिर के बारे में बताते हैं. इस मंदिर को कालाराम मंदिर नाम से जाना जाता. महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्थित इस मंदिर में आज (शुक्रवार) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दर्शन पूजन किया है.

वनवास के दौरान ठहरे थे भगवान

बता दें कि नासिक जिले में मौजूद यह मंदिर मुख्य रूप से भगवान राम, माता सीता और भाई लक्ष्मण को समर्पित है. यह बहुत प्राचीन मंदिर है. मान्यता है कि प्रभु श्रीराम 14 वर्ष के अपने वनवास के दौरान पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ यहीं पंचवटी में ठहरे थे. जिसे लेकर इस जगह की पहले से ही काफी मान्यता रही है.

मंदिर बनने के पीछे की कहानी जानें

इस मंदिर के बारे में ऐसा कहा जाता है कि सरदार रंगारू ओढेकर नाम के एक व्यक्ति को सपने में भगवान श्रीराम ने दर्शन दिया था. ओढेकर ने सपने में भगवान राम की काले रंग की मूर्ति को गोदावरी नदी में तैरते हुए देखा था. इसके बाद जब वह सुबह-सुबह नदी किनारे पहुंचे तो उन्हें वहां सचमुच में श्रीराम की कालेरंग की मूर्ति मिली. उन्होंने उस मूर्ति को लाकर देवालय में स्थापित कर दिया.

242 साल पहले बना था यह मंदिर

गौरतलब है कि वर्ष 1782 में इस मंदिर का निर्माण करवाया गया था. मंदिर के निर्माण में 12 साल का वक्त लगा था. बताया जाता हैै कि मंदिर निर्माण में रोज 2000 लोग काम करते थे. प्रभु श्रीराम का यह मंदिर देखने में काफी खूबसूरत है. मंदिर के चारों ओर 17 फीट ऊंची दीवारें हैं. सबसे खास बात यह है कि इस मंदिर में भगवान श्रीराम, सीता और लक्ष्मण की मूर्तियां खड़े मुद्रा में हैं. ये मूर्तियां काले पत्थर से बनी हुईं हैं और ये करीब दो फीट लंबी हैं.

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