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जन्माष्टमी पर हिंदू दोस्त को धोखे से खिलाया गोस्त, मिला सुकून, यूपी की इस लेखिका के कारनामे दंग करने वाले

नई दिल्ली। कल देशभर में जन्माष्टमी का त्योहार मनाया गया। इस मौके पर सोशल मीडिया पर एक कहानी वायरल हुई जो उत्तर प्रदेश की उर्दू लेखिका का इस्मत चुगताई से जुड़ी हुई है। चुगताई ने अपनी आत्मकथा ‘क़ाग़ज़ी है पैरहन’ में जन्माष्टमी के बारे में लिखा है। जिसमें वो हिंदुओं के साथ त्योहार मनाने के […]

Ismat Chughtai
inkhbar News
  • Last Updated: August 27, 2024 11:05:30 IST

नई दिल्ली। कल देशभर में जन्माष्टमी का त्योहार मनाया गया। इस मौके पर सोशल मीडिया पर एक कहानी वायरल हुई जो उत्तर प्रदेश की उर्दू लेखिका का इस्मत चुगताई से जुड़ी हुई है। चुगताई ने अपनी आत्मकथा ‘क़ाग़ज़ी है पैरहन’ में जन्माष्टमी के बारे में लिखा है। जिसमें वो हिंदुओं के साथ त्योहार मनाने के अनुभव के बारे में लिखती हैं।

दोस्त को खिलाया गोस्त

चुगताई ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि उनके पड़ोस में रहने वाले जन्माष्टमी धूमधाम से मनाई जाती है। लाला जी की बेटी सुशी इस्मत की दोस्त थी। वह गोस्त नहीं खाती थी। लेखिका कहती है कि वह अपनी दोस्त को धोखे से गोस्त खिला देती थी, उसे पता नहीं चलता था। अपनी सहेली को गोस्त खिलाकर इस्मत को बड़ा ही आनंद मिलता था। फल, दालमोठ और बिस्कुट अछूत नहीं था तो इसलिए वह मांस खिला देती थी। ये करने में सुकून मिलता था। इस्मत ने भी बताया कि जब बकरीद पर उनके घर में बकरे काटे जाते थे तो सुशी के माता-पिता उसे घर के अंदर बंद कर देते थे।

कृष्ण को गले से लगाया

इस्मत ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि उनकी दोस्त के घर पर जन्माष्टमी धूमधाम से मनाई जाती थी। पकवानों की खुशबू से वो उसके घर चली जाती थी। सुशी की चाची जब माथे पर टीका लगा देती थी तो वो मिटाना चाहती रहती थी क्योंकि जिस जगह पर टीका लगाया जाता है। उतनी जगह का गोश्त जहन्नुम को जाता है लेकिन इस्मत ने टीका नहीं मिटाया। माथे पर टीका होने की वजह से वो सुशी के यहां मौजूद पूजा घर में बेधड़क चली गई और पालने में झूल रहे कृष्ण भगवान को उठाकर सीने से लगा लिया था। हालांकि सुशी की नानी ने उसे देख लिया और वहां से हटने को कहा। मेरे दिल में उस वक़्त पूजा का अहसास नहीं था मैं तो बस एक बच्चे से प्यार कर रही थी।

 

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