A view of the sea

इन 2 देशों के लड़ाई मे भारत को हो सकता है भारी नुकसान

इजराइल और हमास के बीच चल रहा युद्ध अब ईरान तक पहुंच गया है।

इजराइल द्वारा तेहरान पर मिसाइल हमला करने के बाद मध्य पूर्व में तनाव चरम पर पहुंच गया है।

इसका असर वैश्विक स्तर पर तेल की कीमतों पर भी दिख रहा है।

भारत जैसे देश जो अपनी ऊर्जा जरूरतों का 85 फीसदी आयात से पूरा करते हैं, इस बदलाव से सीधे तौर पर प्रभावित हो सकते हैं।

भारत अपनी कुल तेल जरूरतों का करीब 44.6 फीसदी अकेले मध्य पूर्व से आयात करता है। ऐसे में अगर यह तनाव लंबा खिंचता है तो कच्चे तेल की कीमतों में और बढ़ोतरी संभव है।

कच्चे तेल की कीमत में 10 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी आयात बिल को 90,000 करोड़ रुपये तक बढ़ा सकती है।

पेट्रोल, डीजल और एलपीजी जैसी जरूरी वस्तुएं महंगी हो जाएंगी, जिससे परिवहन और उत्पादन लागत भी बढ़ेगी।

तेल की बढ़ती कीमतों के कारण भारत का चालू खाता घाटा (सीएडी) बढ़ सकता है, जिसका असर विदेशी मुद्रा भंडार पर पड़ेगा।

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