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128 मौतें, 800000 बेघर, तिब्बत में भूकंप के खौफनाक मंजर का जिम्मेदार कौन?

भूकंप प्रभावित लोगों को बचाने के लिए चीन की स्टेट काउंसिल ने भूकंप प्रभावित शहर में एक टास्क फोर्स भेजी है. लेवल-3 की इमरजेंसी घोषित कर दी गई है क्योंकि वहां का बुनियादी ढांचा बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है.

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  • Last Updated: January 8, 2025 09:33:02 IST

नई दिल्ली: हिमालय की तलहटी में स्थित तिब्बत में 7 जनवरी को भीषण भूकंप आया. इस भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 6.8 मापी गई. इस भूकंप के बाद 9 घंटों में करीब 150 झटके दर्ज किए गए. आज 8 जनवरी की सुबह तिब्बत में फिर 4.2 तीव्रता का भूकंप आया. कल आए भूकंप का सबसे ज्यादा असर दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट के पास स्थित शिगात्से शहर पर पड़ा, जहां करीब 8 लाख लोग रहते हैं. इस भूकंप ने इस शहर में कई लोगों की जिंदगी बर्बाद कर दी है.

कई लोग हुए बेघर

बता दें कि इस भूकंप के खौफनाक मंजर ने 1000 से ज्यादा घर छीन लिए. इस हादसे में 128 लोगों की मौत हो गई है. करीब 200 लोग घायल हुए हैं. भूकंप का केंद्र माउंट एवरेस्ट से लगभग 80 किलोमीटर (50 मील) उत्तर में तिब्बत के तिंगरी काउंटी में 10 किलोमीटर की गहराई पर पाया गया. भूकंप के झटके तिब्बत के पड़ोसी देश चीन, नेपाल, भूटान और भारत के कुछ जिलों के साथ-साथ बांग्लादेश में भी महसूस किये गये.

भूकंप प्रभावित लोगों को बचाने के लिए चीन की स्टेट काउंसिल ने भूकंप प्रभावित शहर में एक टास्क फोर्स भेजी है. लेवल-3 की इमरजेंसी घोषित कर दी गई है क्योंकि वहां का बुनियादी ढांचा बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है. बिजली और पानी दोनों की आपूर्ति प्रभावित हुई है.चीन ने तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र के डिंगरी काउंटी में माउंट एवरेस्ट के अपने हिस्से पर पर्यटक बिंदु को बंद कर दिया है. लोग अपने घर खाली कर पलायन करने को मजबूर हो गये. बेघर लोगों को मंगलवार की रात माइनस 6 डिग्री तापमान में गुजारनी पड़ी. सड़कें मलबे, कुचली हुई कारों और ढही हुई इमारतों से भरी हुई हैं.

128 लोगों की मौत का जिम्मेदार कौन?

तिब्बत में आए भूकंप ने भारत के अरुणाचल प्रदेश के पास ब्रह्मपुत्र या यारलुंग त्सांगपो नदी पर बन रहे चीन के सबसे बड़े बांध पर सवालिया निशान लगा दिया है. चीन मेनलिंग तिब्बत में यारलुंग ज़ंग्बो नदी पर दुनिया का सबसे बड़ा जलविद्युत बांध बना रहा है. भारत ने इस परियोजना का विरोध किया था, लेकिन चीन ने अपना पक्ष रखा और इस परियोजना को सही ठहराया. चीन का कहना है कि भारत से निकलने वाली ब्रह्मपुत्र नदी पर बन रहे इस बांध से भारत और बांग्लादेश पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा.

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