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कोर्ट की चेतावनी, सबूत दाखिल नहीं किए तो मुंबई हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद की नजरबंदी से हटेगी रोक

हाई कोर्ट ने सरकार को आगाह किया है कि अगर पाकिस्तान सरकार मुंबई में हुए आतंकी हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद के खिलाफ सबूत दाखिल नहीं करती है तो उसकी नजरबंदी से रोक हटा दी जाएगी. मंगलवार को लाहौर हाई कोर्ट ने हाफिज की हिरासत के खिलाफ एक याचिका पर सुनवाई की.

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  • Last Updated: October 11, 2017 13:20:15 IST
लाहौरः हाई कोर्ट ने सरकार को आगाह किया है कि अगर पाकिस्तान सरकार मुंबई में हुए आतंकी हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद के खिलाफ सबूत दाखिल नहीं करती है तो उसकी नजरबंदी से रोक हटा दी जाएगी. मंगलवार को लाहौर हाई कोर्ट ने हाफिज की हिरासत के खिलाफ एक याचिका पर सुनवाई की. ऐसा माना जा रहा था कि सुनवाई के दौरान गृह सचिव कोर्ट पहुंचेंगे और हाफिज की हिरासत से संबंधित सभी दस्तावेज अदालत में पेश करेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. जमात उद-दावा चीफ हाफिज सईद 31 जनवरी, 2017 से अपने घर में नजरबंद है.
 
हाई कोर्ट ने गृह सचिव की गैरमौजूदगी पर नाराजगी जताई. जस्टिस सैयद मजहर अली अकबर नकवी ने कहा कि महज प्रेस की क्लिपिंग को आधार मानते हुए किसी नागरिक को लंबे समय तक हिरासत में नहीं रखा जा सकता है. जस्टिस नकवी ने आगे कहा, ‘पाकिस्तान सरकार का रवैया दिखाता है कि याचिकाकर्ता के खिलाफ सरकार के पास कोई ठोस सबूत नहीं है. अदालत के सामने अगर कोई ठोस सबूत नहीं पेश किया गया तो याचिकाकर्ता की हिरासत रद्द कर दी जाएगी.’
 
इस मामले में गृह मंत्रालय के एक अन्य अधिकारी ने कोर्ट को बताया कि इस्लामाबाद में सरकारी कार्यों की जिम्मेदारी के चलते गृह सचिव अदालत में पेश नहीं हो पाए. डिप्टी अटॉर्नी जनरल ने याचिका का जवाब दाखिल करने के लिए कोर्ट से समय मांगा है. सुनवाई के दौरान हाफिज सईद के वकील ए.के. डोगर ने दलील दी कि सरकार ने जमात उद-दावा के नेताओं को सुनी-सुनाई बातों को आधार मानते हुए नजरबंद किया है.
 
डोगर ने कहा, महज कल्पना और कयास के आधार पर किसी को नजरबंद करना पाकिस्तान के कानून में संभव नहीं है. बता दें कि भारत मुंबई हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद के खिलाफ कई सबूत पाकिस्तान को सौंप चुका है. पाकिस्तान सरकार ने हमेशा से इस मामले में हाफिज को बचाने की कोशिश की है. हालांकि अंतरराष्ट्रीय दबाव के बाद सरकार ने हाफिज को जनवरी में नजरबंद जरूर कर दिया था. पाकिस्तान के हालिया रवैये से एक बार फिर यह साफ होता है कि वह हाफिज के खिलाफ कार्रवाई करने में जरा भी गंभीर नहीं है.
 

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