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Hong Kong: हांगकांग की कोर्ट ने चीन की रियल एस्टेट कंपनी एवरग्रैंड को बंद करने का दिया आदेश, ये है पूरा मामला

नई दिल्ली: हांगकांग की एक अदालत ने भारी कर्ज में डूबी रियल एस्टेट कंपनी एवरग्रैंड के परिसमापन या बंद करने का आदेश दे दिया है. साथ ही न्यूयॉर्क टाइम्स ने सोमवार को ये खबर दी है कि कोर्ट का ये फैसला चीनी रियल एस्टेट सेक्टर के लिए झटका की तरह है. 2 साल पहले एवरग्रैंड […]

हांगकांग
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  • Last Updated: January 29, 2024 12:28:17 IST

नई दिल्ली: हांगकांग की एक अदालत ने भारी कर्ज में डूबी रियल एस्टेट कंपनी एवरग्रैंड के परिसमापन या बंद करने का आदेश दे दिया है. साथ ही न्यूयॉर्क टाइम्स ने सोमवार को ये खबर दी है कि कोर्ट का ये फैसला चीनी रियल एस्टेट सेक्टर के लिए झटका की तरह है. 2 साल पहले एवरग्रैंड के पास पैसे ख़त्म हो गए, और कंपनी ने 2021 में भुगतान की चूक कर दी, और ये आदेश वकीलों के बीच एवरग्रैंड की शेष संपत्तियों में से जो भी बेचा जा सकता है उसे खोजने और जब्त करने की दौड़ शुरू करेगा.

एस्टेट कंपनी एवरग्रैंड को बंद करने का दिया आदेश

ख़बरों के मुताबिक साल 2021 में कंपनी के डिफॉल्ट होने के बाद दुनिया भर के निवेशकों ने प्रॉपर्टी डेवलपर एवरग्रैंड के रियायती आईओयू को स्कूप किया है, उन्हें ये उम्मीद थी कि चीनी सरकार अंततः बेलआउट देने के लिए कदम जरूर उठाएगी, और एवरग्रैंड एक रियल एस्टेट डेवलपर है जिस पर 300 बिलियन अमरीकी डालर से काफी अधिक का कर्ज है, ये दुनिया का सबसे बड़ा आवास संकट झेल रहा है. हालांकि इसके काफी मूल्यवान विशाल साम्राज्य में अब कुछ नहीं बचा है.Country Garden has become the new face of China's spiraling property crisis - चीन में रियल सेक्टर का बंटाधार, 3,000 प्रोजेक्ट बनाने वाली कंपनी हुई डिफॉल्ट

बता दें कि न्यूयॉर्क के रिपोर्ट के मुताबिक आरोप है कि एवरग्रैंड, साथ ही अन्य डेवलपर्स, ओवरबिल्ट, ओवरप्रोमाइड, और उन अपार्टमेंटों के लिए पैसे ले रहे थे जो अभी बनाए नहीं गए थे. दरअसल इससे सैकड़ों और हजारों घर खरीदार को अपने अपार्टमेंट का इंतजार ही करते रह गए है. अब जब इनमें से दर्जनों कंपनियां डिफॉल्ट कर गई हैं, तो सरकार सख्ती से उन्हें अपार्टमेंट का काम खत्म करने के लिए मजबूर भी करने की कोशिश कर रही है, जिससे हर कोई मुश्किल स्थिति में पड़ गया है, और ठेकेदारों, बिल्डरों को सालों से भुगतान नहीं किया गया है. बताया जा रहा है कि इस आदेश से वित्तीय बाजारों को सदमा लगने की आशंका है जो पहले से ही चीन की अर्थव्यवस्था पर संदेह कर रही हैं.

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