E-7 AWACS Plane : अमेरिका अपने जिन हथियारों के दम पर दुनिया में उछलता फिरता है, उनकी पोल अब भारत ने खोलकर रख दी है। असल में साल 2022 में बोइंग के जिस E-7 AWACS प्लेन को अमेरिका ने भारत को बेचने की कोशिश की थी। लेकिन उश ऑफर को भारत ने एक झटके में मना कर दिया।
अब जो खबर सामने आ रही है उसके मुताबिक प्लेन को ‘आसमान में अमेरिका की आंख’ कहा जा रहा था। अब उसे तीन साल बाद खुद अमेरिकी एयरफोर्स ने ‘बेकार’ बता दिया है। वहीं अरबों डॉलर का प्रोजेक्ट भी एक झटके में फेल हो गया।
TheNatlInterest की एक रिपोर्ट के मुताबिक, E-7 AWACS प्लेन को ग्राउंड करने की सबसे बड़ी वजह युद्ध का तेजी से बदलता स्वरूप है। चीन और रूस जैसे देश अब A2/AD एंटी-एक्सेस, एरिया डिनायल तकनीक का इस्तेमाल करने लगे हैं। ऐसे में बड़े और धीमी गति से उड़ने वाले विमान उनके लिए आसान लक्ष्य बन सकते हैं।
दूसरी वजह यह थी कि वायुसेना को लगता था कि बोइंग इसे समय पर डिलीवर नहीं कर पाएगा। अब अमेरिका का ध्यान किसी एक महंगे विमान पर नहीं, बल्कि AI आधारित युद्ध प्रबंधन, स्पेस सेंसर और एक साथ काम करने वाले छोटे प्लेटफॉर्म पर है।
चीन ने केजे-2000 और केजे-500 जैसे विमान तेजी से विकसित किए हैं, जिनके बारे में कहा जाता है कि वे ई-7 जितने ही कारगर हैं। ई-7 उन्नत तो था, लेकिन यह बहुत बड़ा था और इसकी गति भी बहुत कम थी। इसलिए माना जाता था कि चीन की लंबी दूरी की मिसाइलें इसे आसानी से निशाना बना सकती हैं। शायद इसी वजह से भारत ने इसे नकार दिया।
अब अमेरिका एक AI केंद्रित वितरित नेटवर्क बना रहा है, जिसे ज्वाइंट ऑल डोमेन कमांड एंड कंट्रोल नेटवर्क कहा जाता है। जहां डेटा और कमांड के कई स्रोत एक साथ आते हैं, इससे एक विमान पर निर्भरता खत्म हो जाएगी। भारतीयों को इस बात की बेहद खुशी होगी कि भारत इस पर लंबे समय से काम कर रहा है।
यही वजह है कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत का 4 लेयर एयर डिफेंस सिस्टम काफी चर्चा में रहा, जिसने पाकिस्तान की सारी साजिशों को नाकाम कर दिया।
कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, बोइंग ने 2022 में कहा था कि वह E-7 को लेकर भारत, जापान और कतर समेत कई देशों से बातचीत कर रहा है। 2025 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बोइंग ने E-7A का ऐलान कर दिया है।भारत को ऑफर किया, लेकिन इंडियन एयरफोर्स ने EMB‑145 पर आधारित नेट्रा Mk1A और A321 आधारित MkII के डेवलपमेंट को तरजीह दी क्योंकि यह स्वदेशी तकनीक थी।