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बांग्लादेश में फिर होगा तख्तापलट! कानून-व्यवस्था हाथ में लेने के बाद सेना अलर्ट, संकट में यूनुस

बांग्लादेश में एक बार फिर तख्तपलट की तैयारी है. अंतरिम सरकार में मतभेद के बाद वहां की सेना ने कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी संभाल ली है. सेना प्रमुख जनरल वाकर-उज-जमान ने साफ कहा है कि मैं आपको सावधान कर रहा हूं देश की संप्रभुता खतरे में है.

Muhammad Yunus, General Waqar Uz Zaman & Sheikh Hasina
inkhbar News
  • Last Updated: February 25, 2025 21:15:17 IST

नई दिल्ली.बांग्लादेश में एक बार फिर तख्तपलट की नौबत पैदा हो रही है. वहां पर सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. अंतरिम सरकार के अंदर ही फूट पड़ गई है और कानून-व्यवस्था की कमान सेना ने संभाल ली है. तख्तापलट की आशंका इसलिए जाहिर की जा रही क्योंकि बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के तख्तापलट में अहम भूमिका निभाने वाले छात्र नेता नाहिद इस्लाम ने यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के सलाहकार पद से इस्तीफा दे दिया है. संभावना जताई जा रही है कि अगले सप्ताह नाहिद अपने नए राजनीतिक दल का ऐलान कर देंगे. बांग्लादेश की अवाम भी मोहम्मद यूनुस के शासन की अराजकता से परेशान हो गई है. उधर सेना प्रमुख जनरल वाकर-उज-जमान पूरे फार्म में आ गये हैं और कहा है कि मैं आपको बता रहा हूं, अगर लोग अपने मतभेदों को नहीं भुला पाए तो देश की संप्रभुता खतरे में पड़ जाएगी.

आर्मी चीफ ने कहा सावधान

सेना प्रमुख जनरल वाकर-उज-जमान ने कहा है कि मैं आपको सावधान कर रहा हूं, आप ये मत कहिएगा कि मैंने आपको आगाह नहीं किया. अगर लोग अपने मतभेदों को नहीं भुला पाए तो बांग्लादेश की संप्रभुता दांव पर लग जाएगी. वह ढाका के रावा क्लब में 2009 में पिलखाना में बीडीआर नरसंहार को याद करने के लिए आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि अगर आप साथ मिलकर काम नहीं कर सकते और इसी तरह एक दूसरे पर कीचड़ उछालते रहे तो इस देश की स्वतंत्रता और संप्रभुता को बचाना मुश्किल हो जाएगा.

उन्होंने इससे पहले कहा था कि जब तक चुनी हुई सरकार नहीं आ जाती, तब तक आर्मी ही देश की कानून-व्यवस्था देखेगी. उनके इस बयान को मोहम्मद यूनुस की कुर्सी के लिए खतरे के तौर पर देखा जा रहा है. सेना प्रमुख ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि जब तक चुनी हुई सरकार नहीं आ जाती, वही सेना की कमान संभालते रहेंगे.

सैन्य विद्रोह की आशंका

सेना प्रमुख ने कुछ महीने पहले देश में सैन्य विद्रोह की आशंका भी जताई थी और अब उन्होंने देश की संप्रभुता खतरे में पड़ने की बात ढाका के रावा क्लब में 2009 के क्रूर पिलखाना नरसंहार के शहीदों की याद में आयोजित कार्यक्रम में कह दी. बांग्लादेश में 25 फरवरी 2009 को खूनी सैन्य विद्रोह हुआ था. यह बांग्लादेश राइफल विद्रोह या पिलखाना नरसंहार के नाम से चर्चित हुआ. इस दिन ढाका में बांग्लादेश राइफल्स (BDR) की एक यूनिट ने विद्रोह कर दिया था.

हसीना से सेना प्रमुख के अच्छे रिश्ते

सेना प्रमुख ने मौके का ध्यान रखते हुए जो बात कही है उसके अपने निहितार्थ है. कानून व्यवस्था संभालने की जिम्मेदारी सेना की नहीं होती है. यह काम पुलिस का होता है. यदि सेना पुलिस का काम देख रही है इसका मतलब साफ है कि सब कुछ ठीक नहीं है. मोहम्मद यूनुस बुरी तरह फंस गये हैं. इससे पहले अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना ने शहीद पुलिसकर्मियों के परिवार से वर्चुअली बात करते हुए कहा था कि मैं वापस लौटूंगी और बदला लूंगी. आपको बता दें कि सेना से हसीना के अच्छे संबंध हैं और इसी सेना प्रमुख ने शेख हसीना की जान बचाई थी और उन्हें बांग्लादेश से सुरक्षित निकाला था.

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