Pakistan:भारत ने पाकिस्तान को सूखा छोड़ने और सिंधु जल संधि को कभी बहाल न करने की कसम खाई है, लेकिन पाकिस्तान की जल आपूर्ति को रोकने के उसके फैसले ने इस्लामाबाद में युद्ध की चर्चा को जन्म दे दिया है। पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने चेतावनी दी है कि अगर संधि को बहाल नहीं किया गया तो पाकिस्तान “सभी छह नदियों पर कब्ज़ा कर सकता है”।बिलावल भुट्टो ने कहा कि भारत द्वारा सिंधु नदी का जल रोक देना एक और युद्ध का आह्वान है।
अप्रैल 2025 में जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में एक घातक आतंकवादी हमले के बाद यह पूरा मामला शुरु हुआ। जिसमें 26 नागरिक मारे गए। भारत ने हमले के लिए पाकिस्तान स्थित आतंकवादियों को दोषी ठहराते हुए 1960 की सिंधु जल संधि में अपनी भागीदारी को अचानक निलंबित कर दिया। जो एक ऐतिहासिक जल-साझाकरण समझौता था जो दोनों देशों के बीच दशकों की शत्रुता से बच गया था।
“India has only two options : agree to the Indus Water Treaty, or Pakistan will wage WAR and SEIZE ALL THE 6 RIVERS” : Bilawal Bhutto
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— OsintTV 📺 (@OsintTV) June 21, 2025
भुट्टो की चेतावनी एक सार्वजनिक संबोधन में, भुट्टो ने एक स्पष्ट संदेश दिया: “भारत के पास केवल दो विकल्प हैं: सिंधु जल संधि पर सहमत हों, या पाकिस्तान एक और युद्ध छेड़ देगा।” उन्होंने जल विवाद को पाकिस्तान के अस्तित्व के लिए खतरा बताते हुए पानी को “लाल रेखा” घोषित किया और चेतावनी दी कि भारत की कार्रवाई युद्ध की घोषणा के बराबर है। भुट्टो ने कहा, “हम सिंधु सभ्यता के सच्चे संरक्षक हैं और हम इसकी रक्षा करेंगे।”
यह पहली बार नहीं है जब उन्होंने भारत के खिलाफ़ कोई ऐसा बयान दिया हो इससे पहले उन्होंने कहा था कि सिंधु दरिया में या तो अब पानी बहेगा, या उनका खून बहेगा। सिंधु दरिया हमारा है और हमारा ही रहेगा।भुट्टो ने अंतर्राष्ट्रीय हस्तक्षेप का भी आह्वान किया है, जिसमें इस बात पर ज़ोर दिया गया है कि पाकिस्तान की जल आपूर्ति को रोकने से “युद्ध के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा।”
पाकिस्तानी अधिकारियों के अनुसार, इस कदम से पाकिस्तान में पानी का प्रवाह लगभग 20% कम हो गया है। बांध ‘मृत स्तर’ पर पहुंच रहे हैं, और देश का महत्वपूर्ण कृषि क्षेत्र इसका खामियाजा भुगत रहा है।
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने भुट्टो की चेतावनियों को दोहराया है, भारत के कदम को अंतर्राष्ट्रीय कानून का “बेशर्म उल्लंघन” और “खतरनाक मिसाल” कहा है। इस्लामाबाद कानूनी कार्रवाई पर विचार कर रहा है, लेकिन अभी तक, अंतर्राष्ट्रीय नेता चुप रहे हैं।