Middle East Tensions : इजरायल-ईरान युद्ध में अमेरिका के शामिल होने के बाद मामला अब और भी ज्यादा खराब होता हुआ दिख रहा है। ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर सिधा हमला बोलकर अमेरिका ने पुरे मीडिल ईस्ट को हिलाकर रख दिया है। अब ऐसा अंदेशा लगाया जा रहा है कि ईरान अमेरिका और उसके सहयोगियों पर बड़ा पलटवार कर सकता है। इसके चलते खाड़ी देशों में खौफ का माहौल और गहरा हो गया है।
हाल ये हो रखा है कि जंग को देखते हुए बम शेल्टर बनाए जा रहे हैं। यहां पर हम कुवैत की बात कर रहे हैं, जहां पर हालिया परिस्थितियों को देखते हुए सरकारी मंत्रालयों के नीचे अब बम शेल्टर बनाए जा रहे हैं।
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, कुवैत सरकार ने अपने मंत्रालय परिसर में बम शेल्टर बनाए हैं। ये शेल्टर करीब 900 लोगों को सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं। यह फैसला तब लिया गया जब अमेरिका ने ईरान के तीन बड़े परमाणु ठिकानों फोर्डो, नतांज और इस्फ़हान पर हवाई हमले किए। इस हमले को देखते हुए कुवैत ने अपने सरकारी कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए यह कदम उठाया है।
कुवैत के इस कदम के बाद से ये बात साफ है कि खाड़ी के देश जंग से बचने के लिए तैयारी कर रहे हैं। अमेरिकी स्ट्राइक के बाद से जंग और भी ज्यादा खतरनाक हो गई है। अभी तक सिर्फ दो देशों के बीच युद्ध चल रहा था लेकिन अब इसमें अमेरिका भी शामिल हो गया है, जिससे हालात और भी खराब हो गए हैं।
कुवैत खुद एक महत्वपूर्ण तेल उत्पादक देश है और अमेरिकी सैन्य मौजूदगी का एक बड़ा अड्डा भी है। कुवैत, कतर, बहरीन, इराक और संयुक्त अरब अमीरात अमेरिका की खाड़ी रणनीति में अहम कड़ी हैं। ऐसे में जब ट्रंप प्रशासन ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला किया तो इसकी गूंज कुवैत जैसे पड़ोसी देशों में भी महसूस की गई।
अमेरिकी हमलों के बाद ईरान की ओर से जवाबी कार्रवाई की आशंका है और ऐसे में कुवैत जैसे देशों को डर है कि वे भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इस संघर्ष की चपेट में आ सकते हैं।
राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि यह हमला बेहद सफल था और ईरान को स्पष्ट संदेश भेजने के लिए किया गया था। हालांकि, सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका का फिलहाल कोई और हमला करने का इरादा नहीं है। अमेरिकी अधिकारियों को उम्मीद है कि इस कार्रवाई के बाद ईरान एक बार फिर परमाणु वार्ता की मेज पर लौटेगा।