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चीन स्पेस में बनाएगा बांध, अंतरिक्ष में थ्री गोर्जेस डैम जैसे विशाल सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट की तैयारी

चीन तिब्बत में बह्मपुत्र नदी पर बांध बना रह है। चीन के इस बांध को लेकर कई तरह की चिंताएं भी सामने आई हैं। इसे पर्यावरण के लिहाज से संवेदनशील माना जारहा है। इस बीच वह एक और काम करने जा रहा है जिसे सुनकर दुनिया हिल जाएगी.

China made space in dam
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  • Last Updated: January 10, 2025 20:51:59 IST

नई दिल्ली: चीन, जो तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर दुनिया का सबसे बड़ा बांध बना रहा है, उसने अब सौर ऊर्जा के क्षेत्र में एक और बड़े प्रोजेक्ट की घोषणा की है। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट (SCMP) के अनुसार, इस नई परियोजना को ‘पृथ्वी से ऊपर थ्री गॉर्जेस डेम प्रोजेक्ट’ कहा जा रहा है। इसे चीन के प्रसिद्ध रॉकेट वैज्ञानिक लॉन्ग लेहाओ ने डिजाइन किया है। इस प्रोजेक्ट में 36,000 किलोमीटर ऊपर जियोस्टेशनरी ऑर्बिट में एक किलोमीटर चौड़ा विशाल सौर पैनल स्थापित किया जाएगा, जो दिन-रात और मौसम की परवाह किए बिना लगातार सौर ऊर्जा संचित करेगा।

लॉन्ग लेहाओ के अनुसार, इस परियोजना से उत्पन्न होने वाली ऊर्जा का आकार चीन के थ्री गॉर्जेस डेम से मिलाने योग्य होगा, जो सालाना 100 अरब kWh (किलोवाट प्रति घंटा) बिजली पैदा करता है। थ्री गॉर्जेस डेम चीन की यांग्त्जी नदी पर स्थित है और इतना विशाल है कि नासा ने इसके कारण पृथ्वी की घूर्णन गति पर असर होने का दावा किया था। लॉन्ग ने कहा, “यह प्रोजेक्ट थ्री गॉर्जेस डेम से भी अधिक महत्वपूर्ण होगा और इससे सालाना एकत्रित ऊर्जा पृथ्वी से निकाले जा सकने वाले कुल तेल के बराबर होगी।”

इन तकनीकों की होगी जरुरत

इसमें सुपर हैवी रॉकेट की जरूरत पड़ेगी, जिससे चीन को अपनी अंतरिक्ष तकनीकी क्षमताओं में सुधार करना होगा। लॉन्ग ने बताया कि इसमें दो रॉकेटों का उपयोग होगा— CZ-5, जो लगभग 50 मीटर लंबा होगा और CZ-9, जो 110 मीटर लंबा होगा। ये रॉकेट अंतरिक्ष-आधारित सौर ऊर्जा स्टेशनों के निर्माण में सहायक होंगे।

क्रांति लाएगा ये प्रोजेक्ट

यह विचार पृथ्वी की कक्षा में सूर्य से ऊर्जा एकत्र करने और उसे पृथ्वी पर भेजने के लिए कई दशकों से वैज्ञानिक हलकों में चर्चा का विषय रहा है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसे ऊर्जा क्षेत्र का ‘मैनहट्टन प्रोजेक्ट’ भी माना जाता है। अगर यह प्रोजेक्ट सफल होता है, तो यह ऊर्जा उत्पादन में एक बड़ी क्रांति ला सकता है और यह दुनिया भर के देशों के लिए एक नया आदर्श प्रस्तुत कर सकता है। हालांकि, इस प्रोजेक्ट की लागत और तकनीकी चुनौतियों के बारे में अभी तक कोई विस्तृत जानकारी नहीं दी गई है, लेकिन चीन इस दिशा में गंभीर कदम उठा रहा है।

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