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Climate: कुछ वक़्त बाद चरम गर्मी और सूखे की चपेट में आएगा दुनिया का 90 फीसद हिस्सा

Climate: जलवायु परिवर्तन के प्रभावों पर हुए नए अध्ययन गंभीर परिणाम दिखा रहे हैं। इन अध्ययनों में जलवायु वैज्ञानिकों को जलवायु परिवर्तन से तुरंत निपटने के लिए गंभीर और ठोस कदम उठाने की सलाह दी जा रही है। भविष्य के लिए जो पूर्वानुमान लगाए जा रहे हैं, वे बेहद चिंताजनक तस्वीर पेश करते हैं। नए […]

Climate: कुछ वक़्त बाद चरम गर्मी और सूखे की चपेट में आएगा दुनिया का 90 फीसद हिस्सा
inkhbar News
  • Last Updated: January 7, 2023 12:05:58 IST

Climate: जलवायु परिवर्तन के प्रभावों पर हुए नए अध्ययन गंभीर परिणाम दिखा रहे हैं। इन अध्ययनों में जलवायु वैज्ञानिकों को जलवायु परिवर्तन से तुरंत निपटने के लिए गंभीर और ठोस कदम उठाने की सलाह दी जा रही है। भविष्य के लिए जो पूर्वानुमान लगाए जा रहे हैं, वे बेहद चिंताजनक तस्वीर पेश करते हैं। नए अध्ययन के मुताबिक दुनिया के लोगों पर जलवायु परिवर्तन के बहुत सारे गंभीर प्रभाव देखने को मिलेंगे। इसके अनुसार, दुनिया की 90 प्रतिशत से अधिक आबादी अत्यधिक गर्मी और सूखे के बढ़ते जोखिमों का सामना करेगी।

बढ़ती गर्मी और सूखे के कारण

ऑक्सफोर्ड स्कूल ऑफ ज्योग्राफी के इस अध्ययन में दावा किया गया है कि बढ़ती गर्मी और सूखे के चलते सामाजिक असमानता बढ़ेगी, साथ ही वातावरण में CO2 उत्सर्जन को कम करने की प्राकृतिक क्षमता में भी कमी आएगी। ग्लोबल वार्मिंग उन नुकसानों को विश्व स्तर पर 10 गुना अधिक बढ़ा देगा।

पड़ेगी भीषण गर्मी

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2022 में जिस तरह से लंदन से शंघाई तक तापमान में बढ़ोतरी रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई है, यह प्रक्रिया आगे भी जारी रहने की उम्मीद है। जब इन सभी का एक साथ विश्लेषण किया गया तो वैज्ञानिकों को एक बेहद ही अलग और परेशान करने वाली तस्वीर नजर आई।

 

मिलकर होगा बुरा प्रभाव

विश्लेषण में स्पष्ट रूप से पाया गया कि अत्यधिक गर्मी और सूखे का एक साथ समान प्रभाव होगा। इन दोनों का प्रभाव सामाजिक, आर्थिक और पारिस्थितिक रूप से अधिक गंभीर होगा, इसलिए सामाजिक असमानता की समस्या बढ़ सकती है क्योंकि गरीब और ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक नकारात्मक प्रभाव देखा जाएगा। शोध के अनुसार, चक्रीय रूप से बढ़ने वाले ये नुकसान विश्व स्तर पर 10 गुना अधिक तीव्र होंगे।

 

असर कम नहीं होगा

भीषण गर्मी और सूखे के कारण पृथ्वी की जल संग्रहण क्षमता कम हो जाएगी और विश्व की 90% से अधिक आबादी को इन जोखिमों का सामना करना पड़ेगा। इतना ही नहीं, आप भविष्य में चक्रीय वृद्धि भी देखेंगे, यहां तक ​​कि ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन दुनिया में सबसे कम हो जाएगा।

 

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