Donald Trump Asim Munir Lunch: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद शशि थरूर ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की लंच पर पाकिस्तानी सेना प्रमुख असीम मुनीर से मुलाकात पर कटाक्ष किया। उन्होंने कहा, “मुझे उम्मीद है कि खाना अच्छा रहा होगा और इस दौरान उन्हें कुछ सोचने को जरूर मिला होगा।”

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‘अमेरिका के लोग ओसामा बिन लादेन को नहीं भूले होंगे’

उन्होंने कहा, “मुझे उम्मीद है कि इन बैठकों में अमेरिकी पाकिस्तान को याद दिलाते होंगे कि वह अपनी धरती से हमारे देश में आतंकवादियों को भेजने, मार्गदर्शन करने, प्रशिक्षण देने, हथियार, धन, उपकरण उपलब्ध कराने और भेजने में सक्षम नहीं है। अमेरिका के लोग ओसामा प्रकरण को इतनी जल्दी नहीं भूल सकते।”

अमेरिकी राष्ट्रपति ने एक बार फिर भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम का श्रेय खुद को दिया है। ट्रंप के बयान के बाद कांग्रेस पार्टी एक बार फिर नरेंद्र मोदी सरकार पर हमलावर है। कांग्रेस नेताओं की प्रतिक्रिया पर पार्टी सांसद शशि थरूर ने कहा कि यहां मध्यस्थता का आशय समानता है। हालाँकि, उन्होंने कहा कि आतंकवादियों को भेजने वालों और उनको खदेड़ने वालों में कोई समानता नहीं है।

मध्यस्थता के दावों पर डोनाल्ड ट्रंप को दिखाया आईना

थरूर ने कहा, “हमने स्पष्ट कर दिया था कि अगर पाकिस्तान हमला करने का निर्णय करता है तो हम करारा जवाब देंगे। हमने यह संदेश सिर्फ पाकिस्तान को ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया को दिया। अगर हम भारत सरकार और सेना की रोजाना की ब्रीफिंग देखें तो साफ है कि हमें कभी भी रोकने के लिए मनाने की जरूरत नहीं पड़ी।”

‘हमने किसी से मध्यस्थता का आग्रह नहीं किया’

कांग्रेस सांसद ने कहा, “अगर अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की ओर से किसी पर कोई दबाव था, तो वह पाकिस्तान और उसके सेना प्रमुख असीम मुनीर पर था। हम सभी को यह बात समझनी चाहिए। उस समय अमेरिका ने पाकिस्तान पर जो भी दबाव डाला हो, हमने उनसे ऐसा करने के लिए नहीं कहा। हमने किसी से मध्यस्थता का अनुरोध नहीं किया। जब हमने अमेरिका में प्रतिनिधिमंडल की बैठकों में यह बात कही, तो यह पूरी तरह से समझ में आ गया।”

अमेरिकी प्रशासन सब कुछ जानता है- शशि थरूर

तिरुवनंतपुरम से सांसद ने कहा, “मैं सभी को आश्वस्त कर सकता हूं कि पीएम मोदी ने जो रिपोर्ट हमें दी है, वही संदेश हमने दुनिया को दिया है। मैंने व्यक्तिगत रूप से यूएसए के उपराष्ट्रपति से बात की। हमने इसे कूटनीतिक रूप से कहा, सार्वजनिक रूप से नहीं, लेकिन अब मैं ये बातें खुलकर कह सकता हूं। अमेरिकी प्रशासन का हर अधिकारी जानता है कि मध्यस्थता के मामले में भारत का क्या रुख है।”

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