Harvard university: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के खिलाफ अभूतपूर्व कदम उठाते हुए उसका टैक्स-छूट (501(c)(3)) दर्जा समाप्त करने की घोषणा की है. यह ऐलान 2 मई, 2025 को उनके सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर किया गया. ट्रंप का यह निर्णय हार्वर्ड और उनके प्रशासन के बीच लंबे समय से चले आ रहे तनाव का परिणाम माना जा रहा है. यह कदम अमेरिकी उच्च शिक्षा प्रणाली में एक ऐतिहासिक बदलाव ला सकता है.
डोनाल्ड ट्रंप ने ‘ट्रुथ सोशल’ पर लिखा हम हार्वर्ड का टैक्स-छूट दर्जा समाप्त करने जा रहे हैं. वो इसके लायक हैं. उन्होंने हार्वर्ड पर राजनीतिक, वैचारिक और आतंकवाद से प्रेरित विचारधारा को बढ़ावा देने का आरोप लगाया. ट्रंप का दावा है कि हार्वर्ड सार्वजनिक हित में कार्य करने की शर्त को पूरा नहीं करता. जो टैक्स-छूट की अनिवार्य शर्त है. इस कदम को ट्रंप प्रशासन की उस नीति से जोड़ा जा रहा है. जिसमें हार्वर्ड से विविधता, समानता और समावेशन (DEI) कार्यक्रमों को समाप्त करने और भर्ती व दाखिला नीतियों में बदलाव की मांग की गई थी.
हार्वर्ड ने ट्रंप प्रशासन की मांगों को असंवैधानिक बताते हुए खारिज कर दिया था. यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष एलन गार्बर ने कहा विश्वविद्यालय अपनी स्वतंत्रता या संवैधानिक अधिकारों को नहीं छोड़ेगा. इसके जवाब में ट्रंप प्रशासन ने हार्वर्ड के लिए 2.2 बिलियन डॉलर की संघीय अनुसंधान फंडिंग को फ्रीज कर दिया. इसके अलावा होमलैंड सिक्योरिटी विभाग ने हार्वर्ड के विदेशी छात्र वीजा कार्यक्रम को निशाना बनाते हुए 2.7 मिलियन डॉलर के दो अनुदान रद्द कर दिए. इन कदमों ने हार्वर्ड की वित्तीय स्थिरता पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं.
हार्वर्ड जो 53.2 बिलियन डॉलर के विशाल Endowment के साथ देश का सबसे धनी विश्वविद्यालय है. टैक्स-छूट के कारण हर साल अरबों डॉलर की बचत करता है. टैक्स-छूट खत्म होने से विश्वविद्यालय को अपने Endowment की आय पर कर देना होगा और दानदाताओं को दान पर कर छूट नहीं मिलेगी. विशेषज्ञों का अनुमान है कि इससे हार्वर्ड को प्रति वर्ष सैकड़ों मिलियन डॉलर का नुकसान हो सकता है. जिसका असर छात्रवृत्ति, अनुसंधान और संकाय भर्ती पर पड़ सकता है.
कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रंप का यह कदम अवैध हो सकता है क्योंकि संघीय कानून राष्ट्रपति को आईआरएस को विशिष्ट जांच के लिए निर्देश देने से रोकता है. हार्वर्ड के पास इस निर्णय को आईआरएस की अपील प्रक्रिया या अदालत में चुनौती देने का अधिकार है. ऐतिहासिक रूप से केवल बॉब जोन्स यूनिवर्सिटी ने 1976 में नस्लीय भेदभाव नीतियों के कारण टैक्स-छूट खोई थी. जिसे सुप्रीम कोर्ट ने 1983 में बरकरार रखा. विशेषज्ञों का मानना है कि हार्वर्ड का मामला इससे भिन्न है क्योंकि कोई स्पष्ट नीतिगत उल्लंघन सिद्ध नहीं हुआ है.
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