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Earthquake: फिर डोली धरती, कांप गई धरती! घरों से भागे लोग, तिब्बत और म्यांमार में भी झटके

ताजिकिस्तान में मंगलवार, 22 अप्रैल 2025 को सुबह 10:34 बजे (IST) भूकंप के झटके महसूस किए गए. नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (एनसीएस) के अनुसार रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 4.1 दर्ज की गई.

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  • Last Updated: April 22, 2025 17:29:06 IST

Earthquake: ताजिकिस्तान में मंगलवार, 22 अप्रैल 2025 को सुबह 10:34 बजे (IST) भूकंप के झटके महसूस किए गए. नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (एनसीएस) के अनुसार रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 4.1 दर्ज की गई. भूकंप का केंद्र 39.07 डिग्री उत्तरी अक्षांश और 70.67 डिग्री पूर्वी देशांतर पर जमीन से 10 किलोमीटर की गहराई पर था. यह पहाड़ी देश, जो भूकंप, भूस्खलन और हिमस्खलन जैसे प्राकृतिक खतरों के प्रति संवेदनशील है. इससे पहले सोमवार को भी इस क्षेत्र में तीन बार झटके महसूस किए गए थे.

तिब्बत में भी भूकंप, म्यांमार में आफ्टरशॉक्स

इसी दिन तिब्बत के ज़िज़ांग क्षेत्र में रिक्टर स्केल पर 4.0 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया. यह झटका स्थानीय समयानुसार सुबह के समय महसूस किया गया. दूसरी ओर म्यांमार में 28 मार्च को आए 7.7 तीव्रता के विनाशकारी भूकंप के बाद से अब तक 450 से अधिक आफ्टरशॉक्स दर्ज किए गए हैं. थाई मौसम विभाग की रिपोर्ट के अनुसार इनमें 1.0 से 5.9 तीव्रता के बीच के झटके शामिल हैं. जिनमें से 21 झटके थाईलैंड के माई होंग सोन प्रांत में महसूस किए गए. म्यांमार में इस आपदा ने 3,689 लोगों की जान ले ली और 5,020 लोग घायल हुए.

ताजिकिस्तान में शनिवार 19 अप्रैल को 4.2 तीव्रता का भूकंप आया था. उसी दिन अफगानिस्तान में 5.8 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया. जिसका केंद्र 36.10 डिग्री उत्तरी अक्षांश और 71.20 डिग्री पूर्वी देशांतर पर 130 किलोमीटर की गहराई पर था. भारत के जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ में भी पिछले हफ्ते 2.4 तीव्रता का हल्का भूकंप आया. ये घटनाएं दर्शाती हैं कि हिमालय क्षेत्र में टेक्टोनिक प्लेटों की गतिविधियां लगातार भूकंपीय जोखिम पैदा कर रही हैं.

म्यांमार में मानवीय संकट

म्यांमार में 28 मार्च के भूकंप के बाद स्थिति गंभीर बनी हुई है. संयुक्त राष्ट्र ने 275 मिलियन डॉलर की अपील के साथ राहत कार्य शुरू किए हैं. भारत ने भी छह विमानों और पांच नौसैनिक जहाजों के जरिए 625 मेट्रिक टन राहत सामग्री भेजी है. हालांकि सेना और जातीय मिलिशिया के बीच चल रहे गृहयुद्ध ने राहत कार्यों को जटिल बना दिया है. संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने सभी सैन्य अभियानों को रोककर पीड़ितों की सहायता पर ध्यान देने की अपील की है.

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