Global Peace Index 2025: दुनिया में चल रही उथल-पुथल और युद्ध के बीच ग्लोबल पीस इंडेक्स 2025 की रिपोर्ट बेहद दिलचस्प जानकारी लेकर आई है। इस रिपोर्ट के मुताबिक औसतन वैश्विक शांति में करीब 0.36 फीसदी की गिरावट आई है। यानी दुनिया समय के साथ और अशांत होती जा रही है। यह लगातार तेरहवां साल है जब दुनिया में अशांति बढ़ी है। इस साल 74 देशों में हालात बेहतर हुए हैं, जबकि 87 देशों में हालात भयावह हुए हैं।
कौन सा है दुनिया का सबसे सुरक्षित देश?
ग्लोबल पीस इंडेक्स 2025 की रैंकिंग के मुताबिक दुनिया के पांच सबसे सुरक्षित देश आइसलैंड, आयरलैंड, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रिया और स्विट्जरलैंड हैं। जबकि सबसे असुरक्षित देश अफगानिस्तान, यमन, सीरिया, साउथ सूडान, इराक हैं। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इजरायल जैसा महत्वपूर्ण और शक्तिशाली माना जाने वाला देश इस सूची में 155वें नंबर पर है, जो कि दक्षिण सूडान और सीरिया से ठीक ऊपर है। यानी यह रहने के लिए बेहद असुरक्षित देश है। वहीं, ईरान इस सूची में इजरायल से बेहतर स्थिति में नजर आ रहा है। ईरान की रैंकिंग 142 है। जो कि पाकिस्तान के 144वें स्थान से काफी बेहतर है।
भारत और पाकिस्तान में कितना अंतर?
भारत-पाकिस्तान संघर्ष के दौरान पाकिस्तान का मददगार बनकर उभरा तुर्की भी रहने के लिए काफी असुरक्षित है। इस सूची में यह 146वें स्थान पर रहा है। भारत तुलनात्मक रूप से बेहतर स्थिति में है। भारत की रैंकिंग अमेरिका से भी बेहतर है। पाकिस्तान इस सूची में 144वें नंबर पर है। जबकि भारत 115वें नंबर पर है। यानी भारत में स्थिति सामान्य रूप से शांतिपूर्ण है जबकि पाकिस्तान काफी अशांत है। वहीं, अमेरिका की स्थिति 128वें नंबर पर रही। जो कि अफ्रीकी देशों- मोजाम्बिक, दक्षिण अफ्रीका और केन्या से भी नीचे रहा। यहां आपको बता दें कि यह रिपोर्ट इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक्स एंड पीस द्वारा जारी की गई है।
रूस-यूक्रेन का क्या है हाल?
इस रिपोर्ट में एक खास बात जो देखने को मिली वो ये कि 163 देशों की लिस्ट में रूस और यूक्रेन सबसे निचले पायदान पर थे। इसकी वजह यहां करीब तीन साल से चल रहा युद्ध और कभी भी हमले की आशंका है। 2023 में ग्लोबल पीस इंडेक्स ने कहा कि दुनिया में संघर्ष 15 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गए हैं। कई अन्य देशों की तरह ब्रिटेन भी असुरक्षित होता जा रहा है। इसका 15 प्रतिशत क्षेत्र यात्रा के लिए असुरक्षित घोषित किया जा चुका है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि दुनिया दिन-प्रतिदिन अपनी सैन्य शक्ति बढ़ाने की ओर बढ़ रही है। पुराने सैन्य या कूटनीतिक गठबंधन टूट रहे हैं और लोग कहीं भी यात्रा करने में खुद को असुरक्षित पा रहे हैं।