Israel-Iran War: ट्रंप ने 12 जून को ईजरायल और ईरान के बीज सीजफायर का आह्वान किया था। इससे पहले अमेरिका ने ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर हमला किया था। इसके बाद अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने ये दावा किया था कि अमेरिका के खतरनाक बी-2 बॉम्बर ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु स्थलों फोर्डो, नतांज और इस्फहान को पूरी तरह नष्ट कर दिये हैं। हालाकि ट्रंप के इस दावे को लेकर एक बड़ा खुलासा हुआ है। एक रिपोर्ट में बताया गया है कि अमेरिका के इस हमले से ईरान का परमाणु कार्यक्रम खत्म नहीं हुआ है वह बस कुछ महीनों के लिए ही प्रभावित हुआ है। रिपोर्ट सामने आने के बाद अमेरिका के दावे पर कई सवाल उठने लगे हैं।रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि फोर्डो, नतांज और इस्फहान में स्थित परमाणु स्थलों को नुकसान पहुंचा है, लेकिन उन्हें नष्ट नहीं किया गया है।
युद्ध की शुरुआत के साथ ही अमेरिका ने साफ कर दिया था कि वह ईरान को परमाणु हथियार नहीं बनाने देगा। इसके साथ ही अमेरिका खुलकर इजरायल के साथ खड़ा नजर आया। इसके साथ ही यह भी साफ हो गया कि अमेरिका कभी भी इस युद्ध में कूद सकता है। यही वजह है कि ईरान भी सतर्क रहा। हमले से पहले उन जगहों से यूरेनियम हटा दिया गया जहां परमाणु कार्यक्रम चल रहे हैं। कई रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि ईरान ने अपने साइट्स से करीब 400 किलो यूरेनियम पहले ही हटा लिया था।
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलीन लेविट ने रिपोर्ट के बारे में कहा, इस कथित आकलन को लीक करना राष्ट्रपति ट्रंप को नीचा दिखाने की कोशिश है। सबको पता है कि जब आप चौदह 30,000 पाउंड के बम सटीक तरीके से लक्ष्य पर गिराते हैं तो क्या होता है, वह पूरी तरह से नष्ट हो जाता है।
अमेरिका के साथ-साथ खाड़ी देश भी नहीं चाहते कि ईरान के पास किसी भी हालत में परमाणु हथियार हों। अमेरिका ने साफ कहा है कि ईरान परमाणु हथियार नहीं बना सकता। हमले के बाद ट्रंप के दावों और सामने आ रही रिपोर्टों के बाद कहा जा रहा है कि ईरान आने वाले समय में एक बार फिर अपना परमाणु कार्यक्रम शुरू कर सकता है। हालांकि, इजरायल ने साफ कर दिया था कि अगर ईरान ने दोबारा परमाणु कार्यक्रम शुरू किए तो उस पर दोबारा हमला किया जाएगा।
ईरान और इजरायल के बीच लंबे समय से तनाव चल रहा था। यह तनाव 12 जून को संघर्ष में बदल गया। दोनों देशों ने एक-दूसरे पर मिसाइलों और ड्रोन से हमला किया। इन हमलों में 600 से ज्यादा लोग मारे गए, जबकि हजारों लोग घायल हुए। 18 तारीख को अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा था कि वह अगले 2 हफ्तों में इस बात पर विचार करेंगे कि ईरान पर हमला करना है या नहीं। हालांकि, ट्रंप के बयान के महज 72 घंटे बाद ही अमेरिका ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला कर दिया। इस हमले के बाद ट्रंप ने शांति की अपील की। इसके बाद 24 जून को युद्ध विराम का ऐलान किया गया।