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‘यूनुस हिंदुओं के नरसंहार में शामिल’, बांग्लादेश छोड़ने के बाद पहली बार दुनिया के सामने बोलीं शेख हसीना

शेख हसीना ने न्यूयॉर्क में आयोजित एक कार्यक्रम को ऑनलाइन माध्यम से संबोधित किया। शेख हसीना ने यह भी दावा किया कि उनके पिता शेख मुजीबुर रहमान की तरह ही उनकी और उनकी बहन शेख रेहाना की हत्या की साजिश रची गई थी।

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  • Last Updated: December 5, 2024 07:48:48 IST

नई दिल्ली: बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार के लिए पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने देश की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस को जिम्मेदार ठहराया है और उन पर अल्पसंख्यकों की सुरक्षा करने में विफल रहने का आरोप लगाया है। उन्होंने न्यूयॉर्क में आयोजित एक कार्यक्रम को ऑनलाइन माध्यम से संबोधित किया। शेख हसीना ने यह भी दावा किया कि उनके पिता शेख मुजीबुर रहमान की तरह ही उनकी और उनकी बहन शेख रेहाना की हत्या की साजिश रची गई थी।

ढाका में 5 अगस्त को अपने सरकारी आवास पर हुए हमले का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, “हथियारबंद प्रदर्शनकारियों को गणभवन की ओर भेजा गया था। अगर सुरक्षाकर्मियों ने गोलियां चलाई होती, तो कई लोगों की जान जा सकती थी। मुझे वहां से जाने के लिए मजबूर होना पड़ा। मैंने उनसे (सुरक्षाकर्मियों से) कहा कि चाहे कुछ भी हो जाए, उन्हें गोलियां नहीं चलानी चाहिए।”

मोहम्मद यूनुस पर नरसंहार में शामिल 

कार्यक्रम में हसीना ने कहा, “आज मुझ पर नरसंहार का आरोप लगाया जा रहा है। दरअसल, यूनुस योजनाबद्ध तरीके से नरसंहार में शामिल रहा है। इस नरसंहार के पीछे मुख्य साजिशकर्ता छात्र समन्वयक और यूनुस हैं।”

हसीना ने कहा कि ढाका में मौजूदा सत्तारूढ़ सरकार अल्पसंख्यकों की रक्षा करने में विफल रही है। हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, “हिंदू, बौद्ध, ईसाई – किसी को भी नहीं बख्शा गया है। ग्यारह चर्चों को ध्वस्त कर दिया गया है, मंदिरों और बौद्ध पूजा स्थलों को नष्ट कर दिया गया है। जब हिंदुओं ने विरोध किया, तो इस्कॉन नेता को गिरफ्तार कर लिया गया।”

इस्तीफा देने का भी समय नहीं मिला

हसीना ने कहा, “अल्पसंख्यकों पर यह अत्याचार क्यों हो रहा है? उन पर अत्याचार और हमले क्यों हो रहे हैं?” उन्होंने आगे कहा, “लोगों को अब न्याय पाने का अधिकार नहीं है, मुझे इस्तीफा देने का भी समय नहीं मिला।” हसीना ने कहा कि हिंसा को रोकने के उद्देश्य से उन्होंने अगस्त में बांग्लादेश छोड़ दिया था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

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