India-Canada Relations: भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश निति का मखौल भले ही विपक्ष उड़ाता हो, लेकिन पीएम मोदी ने वो काम कर दिया है, जो कांग्रेस कभी नहीं कर सकती थी। दरअसल, G7 शिखर सम्मेलन में कनाडा के नए प्रधानमंत्री मार्क कार्नी और पीएम मोदी की मुलाकात के बाद खालिस्तानियों को लेकर कनाडा के सुर बदले हुए नजर आ रहे हैं। इसका खुलासा कनाडा की खुफिया एजेंसी कैनेडियन सिक्योरिटी इंटेलिजेंस सर्विस (CSIS) की ताजा रिपोर्ट से हुआ है। दरअसल, इस रिपोर्ट में कनाडा ने पहली बार खुले तौर पर माना है कि उसकी धरती पर खालिस्तानी आतंकी सक्रिय हैं, जो भारत के खिलाफ हिंसा को बढ़ावा दे रहे हैं।
CSIS की रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि 1980 के दशक से ही कनाडा में खालिस्तानी चरमपंथी (जिन्हें कनाडा-आधारित खालिस्तानी चरमपंथी या CBKE कहा जाता है) भारत के पंजाब में एक अलग खालिस्तान राष्ट्र बनाने के लिए हिंसक गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं। ये चरमपंथी कनाडा को अपनी गतिविधियों का अड्डा बना रहे हैं, जहां से वे हिंसा को बढ़ावा देने, फंड जुटाने और हमलों की योजना बनाने का काम करते हैं। हालांकि 2024 में कनाडा में ऐसी कोई हिंसक घटना नहीं हुई, लेकिन इन उग्रवादियों की गतिविधियां कनाडा की राष्ट्रीय सुरक्षा और भारत के हितों के लिए खतरा बनी हुई हैं।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि खालिस्तान का शांतिपूर्ण समर्थन करने वाले कनाडाई नागरिकों को उग्रवादी नहीं माना जाता है। लेकिन एक छोटा समूह है जो हिंसा का सहारा लेता है और यह समूह भारत के लिए चिंता का कारण है। सीएसआईएस ने यह भी कहा कि कनाडा से उभर रहा खालिस्तानी उग्रवाद भारत की विदेशी हस्तक्षेप गतिविधियों को बढ़ावा दे रहा है। इसका मतलब है कि भारत को अपनी सुरक्षा के लिए कनाडा में सक्रिय इन तत्वों पर नजर रखनी होगी। इस खुलासे को भारत के लिए बड़ी कूटनीतिक जीत माना जा रहा है।
भारत लंबे समय से कहता रहा है कि कनाडा खालिस्तानी आतंकवादियों को पनाह दे रहा है जो भारत के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों में शामिल हैं। 2023 में खालिस्तानी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया था। उस समय कनाडा के तत्कालीन प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारत पर निज्जर की हत्या में शामिल होने का आरोप लगाया था।