SCO Summit 2025: भारतीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने चीन पहुंचे हैं। इस दौरान रक्षामंत्री ने चीन और पाकिस्तान को बड़ा झटका दिया है। असल में उन्होंने एससीओ समिट की जॉइंट स्टेटमेंट पर साइन करने से इनकार कर दिया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत इस स्टेटमेंट में सीमा पार से हो रहे आतंकवाद के मुद्दे को शामिल करना चाहता था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ, जिसके बाद ये कदम उठाया गया।
इसके अलावा भारतीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने पाक रक्षामंत्री ख्वाजा आसिफ से भी मुलाकात नहीं की है। 22 अप्रैल को पहलगाम में हुआ आतंकी हमले के बाद से ही दोनों देशों के बीच तनाव अपने चरम पर है। भारत इस मसले को एससीओ समिट के जॉइंट स्टेटमेंट में शामिल करना चाहता था, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने समिट में पाकिस्तान और आतंकवाद के मुद्दे पर तीखी प्रतिक्रिया दी।
Exact moment when India’s Defence Minister Rajnath Singh refused to sign the Shanghai Cooperation Organisation (SCO) document in China as it didn’t condemn the Pahalgam terror attack in Kashmir, but included Balochistan. pic.twitter.com/XgfhjzLlZC
— Aditya Raj Kaul (@AdityaRajKaul) June 26, 2025
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए कहा कि आतंकवाद के दोषियों, वित्तपोषकों और प्रायोजकों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए तथा इससे निपटने में दोहरे मापदंड नहीं अपनाए जाने चाहिए। शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के एक सम्मेलन में अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि कुछ देश आतंकवादियों को पनाह देने के लिए सीमा पार आतंकवाद का इस्तेमाल नीतिगत उपकरण के रूप में कर रहे हैं।
पहलगाम में हुए आतंकी हमले को लेकर राजनाथ सिंह ने कहा कि, पहलगाम आतंकी हमले का तरीका भारत में लश्कर-ए-तैयबा के पिछले आतंकी हमलों जैसा था। भारत आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करेगा। आतंकवाद से निपटने में दोहरे मानदंडों के लिए कोई स्थान नहीं होना चाहिए। एससीओ को इस खतरे से निपटने में दोहरे मानदंड अपनाने वाले देशों की आलोचना करने में संकोच नहीं करना चाहिए।
बता दें कि भारत ने पहलगाम आतंकी हमले का बदला ऑपरेशन सिंदूर के जरिए लिया था। इसमें पाक को मुंह तोड़ जवाब दिया गया था। भारत के खिलाफ इसमें पाक को तुर्की और चीन का साथ मिला था। इन दोनों देशों ने पाक सेना को ड्रोन्स और मिसाइलों का जखीरा मुहैया कराया था, जिसका इस्तेमाल भारत के खिलाफ किया गया था।