Inkhabar
  • होम
  • दुनिया
  • Indian Population: साल 2050 तक भारत हो जाएगा ‘बूढ़ा’, जाने क्या हैं कारण?

Indian Population: साल 2050 तक भारत हो जाएगा ‘बूढ़ा’, जाने क्या हैं कारण?

नई दिल्ली: कुछ दशकों में भारत भी शायद जापान की तरह बुजुर्गों का देश बन जाएगा. अब ऐसा क्यों कह रहे हैं हम, क्योंकि प्रजनन दर घटती जा रही है. बच्चों की संख्या कम हो रही हो रही हैं. इस तरह देश में आबादी का संतुलन नही रहेगा. इससे कई तरह की मुश्किलें सामने आ […]

Indian Population: साल 2050 तक भारत हो जाएगा 'बूढ़ा', जाने क्या हैं कारण?
inkhbar News
  • Last Updated: March 27, 2024 20:27:26 IST

नई दिल्ली: कुछ दशकों में भारत भी शायद जापान की तरह बुजुर्गों का देश बन जाएगा. अब ऐसा क्यों कह रहे हैं हम, क्योंकि प्रजनन दर घटती जा रही है. बच्चों की संख्या कम हो रही हो रही हैं. इस तरह देश में आबादी का संतुलन नही रहेगा. इससे कई तरह की मुश्किलें सामने आ सकती हैं. तो आईए जानते हैं इस नई रिपोर्ट में क्या नए-नए खुलासे किए गए हैं…

भारत इस वक्त लगातार अपनी बढ़ती आबादी से जूझ रहा हैं. पर एक चौकाने वाली खबर भी सामने आई है. साल 2050 तक भारत में कुल प्रजनन दर (Total Fertility Rate-TFR) केवल 1.29 रह जाएगा. वर्तमान नें यह 1.91 है और साल 1950 में यह 6.18 था. यानी उस समय प्रति महिला के 6.18 बच्चे थे. आशंका ये भी जताई जा रही कि इस सदी के अंत तक प्रजनन दर घटकर 1.04 हो जाएगा. यह खुलासा एक प्रतिष्ठित रिपोर्ट में हाल ही में प्रकाशित हुआ है. बता दें, किसी भी देश का प्रजनन दर वहां रहने वाली 15 से 49 साल की महिलाओं द्वारा पैदा किए जाने वाले बच्चों की संख्या पर निकाली जाती है. सिर्फ वही बच्चे जो जीवित है.

दुनिया के लिए चिंता का विषय

केवल भारत की प्रजनन दर कम नही हो रही है. पूरे विश्व में ऐसी स्थित देखने को मिल रही है. बता दें ग्लोबल लेवल पर भी पिछले 70 सालों में प्रजनन दर घटकर आधी रह गई है. साल 1950 में ग्लोबल लेवल पर प्रजनन दर 4.8 से अधिक थी. वही साल 2021 में यह आकड़ा घटकर औसतन 2.2 बच्चे प्रति महिला रह गया है.

आबादी घटने की मूल वजह

वैज्ञानिकों ने आबादी घटने के बहुआयामी कारण बताए है. इसमें ग्लोबल वॉर्मिंग, क्लाइमेट चेंज, लाइफस्टाइल, आहार में गड़बड़ी, कुपोषण, स्वास्थ्य, साफ पानी और स्वच्छता जैसे प्रमुख तत्व शामिल है. आबादी का संतुलन ठीक रहना बहुत जरूरी हैं. वैज्ञानिको के अनुसार देश में प्रजनन दर कम से कम 2.1 के आसपास जरूरी हैं. इससे देश में बच्चों और वयस्कों का संतुलन बना रहता हैं लेकिन वर्तमान समय में यह स्तर घट रहा हैं. ऐसे में बुजुर्गों की संख्या बढ़ जाएगी. यानी देश के अर्थव्यवस्था को सुचारु रूप से चलाने के लिए नौजवानों (वर्कफोर्स) की खासा कमी होने वाली हैं. भारत केवल अकेला देश नही हैं जहांं प्रजनन दर में गिरावट आ रही हैं. दुनिया के आधे से अधिक देशों 204 में से 110 देशों में प्रजनन दर में कमी देखी जा सकती हैं. अगर ऐसी ही स्थिति रही तो सदी के अंत तक 97% देश घटते प्रजनन दर से परेशान होंगे.