Indian Students in Iran: ईरान में बढ़ते इजरायली हवाई हमलों के बीच सैकड़ों भारतीय मेडिकल छात्र अपनी जान बचाने के लिए अपने अपार्टमेंट के बेसमेंट में छिपे हुए हैं। गोलियों की आवाज, बम धमाकों की गूंज और इंटरनेट की धीमी गति के बीच छात्र दिन-रात डरे हुए हैं। इस विकट परिस्थिति में भारतीय छात्रों ने केंद्र सरकार से मदद की गुहार लगाई है।

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तेहरान के शहीद बेहेश्टी यूनिवर्सिटी में कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के रहने वाले इम्तिसाल मोहिदीन एमबीबीएस के थर्ड ईयर में पढ़ने वाले स्टूडेंट हैं। उन्होंने बताया, “शुक्रवार(13 जून) को सुबह 2:30 बजे तेज धमाकों की आवाज सुनकर मेरी नींद खुली। मैं घबराकर बेसमेंट की ओर भागा। तब से मैं चैन से सो नहीं पाया हूं।” उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय के आसपास विस्फोट हो रहे हैं और एक विस्फोट तो महज 5 किलोमीटर की दूरी पर हुआ।

शहीद बेहेश्टी विश्वविद्यालय में 350 से ज्यादा भारतीय छात्र पढ़ते हैं। अब ये सभी डर के साये में जीने को मजबूर हैं। विश्वविद्यालय ने सभी कक्षाएं स्थगित कर दी हैं और छात्रों को बाहर जाने से मना कर दिया है। इम्तिसाल के मुताबिक, “अब हम पूरे दिन अपार्टमेंट के बेसमेंट में छिपे रहते हैं। पूरी रात बम विस्फोट की आवाजें आती रहती हैं। हमने तीन दिन से अपनी आंखें बंद नहीं की हैं।”

भारतीय दूतावास की सलाह: घर पर रहें, हेल्पलाइन से जुड़े रहें

ईरान में बिगड़ते हालात को देखते हुए तेहरान स्थित भारतीय दूतावास ने सार्वजनिक सलाह जारी कर सभी भारतीय नागरिकों और भारतीय मूल के लोगों से अपने घरों के अंदर रहने और दूतावास द्वारा दिए गए टेलीग्राम लिंक से जुड़ने को कहा है। दूतावास ने कहा कि यह लिंक केवल उन लोगों के लिए है जो इस समय ईरान में हैं। दूतावास ने एक पोस्ट में कहा, “हम सभी भारतीय नागरिकों से दिए गए टेलीग्राम लिंक से जुड़ने का अनुरोध करते हैं ताकि उन्हें स्थिति से जुड़ी ताजा जानकारी मिलती रहे।” इसके साथ ही दूतावास ने इमरजेंसी हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए हैं।

हालांकि छात्रों का कहना है कि डर का माहौल इतना गहरा है कि केवल सलाह और संदेश से राहत नहीं मिल रही है। इम्तिसाल मोहिदीन ने भावुक होते हुए कहा, “हम भारत सरकार से हाथ जोड़कर अनुरोध करते हैं कि हमें जल्द से जल्द यहां से निकाला जाए। इससे पहले कि स्थिति और खराब हो जाए।”

हम यहां डॉक्टर बनने आए थे, अब जिंदा लौटने की कोशिश कर रहे हैं…

तेहरान से तकरीबन 1,000 KM दूर केरमान शहर में पढ़ रहे एमबीबीएस के फर्स्ट ईयर के छात्र फैजान नबी ने भी एएनआई से बात की। वह श्रीनगर के रहने वाले हैं और केरमान यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज में पढ़ रहे हैं। फैजान ने कहा, “आज हमारे शहर में गोलीबारी की आवाजें सुनी गईं। यहाँ रहने वाले मेरे फ्रेंड बहुत डरे हुए हैं। आलम यह है कि हमें तीन-चार दिनों के लिए पीने का पानी स्टोर करने को कहा गया है। हर दिन डर के साये में बीत रहा है।” उन्होंने आगे कहा, “मेरे घरवाले दिन में 10 बार फोन करते हैं। इंटरनेट इतना स्लो है कि मैं ठीक से मैसेज भी नहीं भेज पाता। हम यहां डॉक्टर बनने आए थे, हालाँकि अब हालात ऐसे हो गए हैं कि हम बस जिंदा घर लौटने की उम्मीद कर रहे हैं।”

अब बस भारत लौटने की उम्मीद

जम्मू-कश्मीर के सोपोर के रहने वाले मिदहत ईरान यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज में चौथे वर्ष के छात्र हैं। उन्होंने कहा कि जब पहला हमला हुआ था, तो वह रात सबसे डरावनी थी। समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए उन्होंने कहा, “धमाकों की आवाज़ इतनी नज़दीक से आई कि ऐसा लगा जैसे सब कुछ यहीं हो रहा है। चारों तरफ़ अफ़रा-तफ़री मची हुई थी। हर कोई डरा हुआ था। हम लगातार अपने परिवारों के संपर्क में रहने की कोशिश कर रहे हैं और हर ख़बर पर नज़र बनाए हुए हैं।”

उन्होंने यह भी कहा कि यूनिवर्सिटी की तरफ से भी बहुत ज़्यादा मदद नहीं मिली है। भारतीय दूतावास लगातार व्हाट्सएप के ज़रिए संपर्क में है, लेकिन हमने यूनिवर्सिटी से मदद की उम्मीद छोड़ दी है। हममें से ज़्यादातर छात्र अब अपने अपार्टमेंट में बंद होकर दिन बिता रहे हैं। डर इतना है कि बाहर निकलने की हिम्मत नहीं होती। ईरान के लिमिटेड हवाई क्षेत्र और लगातार हो रही बमबारी की वजह से छात्रों को नहीं पता कि हालात कब सामान्य होंगे। अब वे सिर्फ़ भारत लौटने की उम्मीद कर रहे हैं।

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