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भारत का मास्टर प्लान… तालिबान से मिलकर अफगानिस्तान का पानी रोकेगा, बुरी तरह से फंसा पाकिस्तान!

पाकिस्तान की भू-राजनीतिक विशेषज्ञ डॉ. हुमा बकाई ने एक सनसनीखेज दावा किया है कि भारत का असली मकसद युद्ध नहीं बल्कि पाकिस्तान की जल आपूर्ति को नियंत्रित करना है. जियो न्यूज पर वरिष्ठ पत्रकार हामिद मीर के साथ बातचीत में उन्होंने कहा कि भारत अफगानिस्तान से बहने वाली काबुल नदी सहित चिनाब, झेलम और सिंधु नदियों के पानी को रोकने की रणनीति पर काम कर रहा है. इस दावे ने पाकिस्तान में हड़कंप मचा दिया है.

Pakistan Afghanistan Kabul river Water Block
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  • Last Updated: May 6, 2025 21:58:21 IST

Pakistan Afghanistan Kabul river Water Block: पाकिस्तान की भू-राजनीतिक विशेषज्ञ डॉ. हुमा बकाई ने एक सनसनीखेज दावा किया है कि भारत का असली मकसद युद्ध नहीं बल्कि पाकिस्तान की जल आपूर्ति को नियंत्रित करना है. जियो न्यूज पर वरिष्ठ पत्रकार हामिद मीर के साथ बातचीत में उन्होंने कहा कि भारत अफगानिस्तान से बहने वाली काबुल नदी सहित चिनाब, झेलम और सिंधु नदियों के पानी को रोकने की रणनीति पर काम कर रहा है. इस दावे ने पाकिस्तान में हड़कंप मचा दिया है.

क्या है भारत की रणनीति?

डॉ. हुमा बकाई ने दावा किया ‘भारत के हालिया साहसिक कदम का असली मकसद पाकिस्तान का पानी रोकना है. भारत न सिर्फ चिनाब, झेलम और सिंधु नदियों को रोकना चाहता है बल्कि अफगानिस्तान से होकर गुजरने वाली काबुल नदी को भी 12 स्थानों पर ब्लॉक करना चाहता है.’ उनके अनुसार भारत ने अफगानिस्तान में शहतूत और सलमा जैसे बांध पहले ही बना लिए हैं जो काबुल नदी के जल प्रवाह को नियंत्रित करने में सक्षम हैं. अगर भारत इन बांधों का उपयोग पानी रोकने के लिए करता है तो पाकिस्तान की खैबर पख्तूनख्वा जैसे क्षेत्रों में कृषि और जलापूर्ति पर गहरा संकट पैदा हो सकता है.

काबुल नदी की रणनीतिक अहमियत

काबुल नदी अफगानिस्तान में उत्पन्न होती है और पाकिस्तान के पेशावर, नौशेरा और अटक जैसे क्षेत्रों के लिए जीवन रेखा है. यह नदी 1960 के सिंधु जल समझौते का हिस्सा नहीं है और न ही पाकिस्तान का अफगानिस्तान के साथ कोई जल समझौता है. यह स्थिति भारत के लिए एक सुनहरा अवसर प्रदान करती है. भारत ने अफगानिस्तान में काबुल नदी पर कई बांध और जल प्रबंधन परियोजनाएं शुरू की हैं जो न केवल अफगानिस्तान को ऊर्जा और सिंचाई में मदद करती हैं बल्कि पानी के प्रवाह को नियंत्रित करने की क्षमता भी रखती हैं.

पाकिस्तान की मुश्किलें

पाकिस्तान के पास जल भंडारण की कोई मजबूत व्यवस्था नहीं है जो इस संकट को और गंभीर बनाता है. अगर भारत काबुल नदी के पानी को रोकता है तो पाकिस्तान के पख्तून क्षेत्र में अस्थिरता बढ़ सकती है जहां पहले से ही सेना के खिलाफ असंतोष मौजूद है. डॉ. बकाई ने सुझाव दिया. ‘अगर पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र में जाना चाहता है तो उसे पानी का मुद्दा उठाना चाहिए.’ यह दावा पाकिस्तान की आर्थिक रीढ़ पर सीधा हमला माना जा रहा है.

पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत के राजनयिकों ने तालिबान के उच्च अधिकारियों से मुलाकात की थी जिसके बाद ये अटकलें तेज हुईं. हालांकि भारत सरकार ने इन दावों पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है. फिर भी भारत की रणनीति ने पाकिस्तान को चिंता में डाल दिया है.

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