Fatah-1 Hypersonic Missile : ईरान-इजरायल के बीच चल रही जंग अब और भी ज्यादा भीषण होती जा रही है। इजरायल लगातार ईरान के मुख्य ठिकानों को निशाना बना रही है। वहीं ईरान ने भी इजरायल पर फतह-1 नाम की हाइपरसोनिक मिसाइल से हमला किया है। यह मिसाइल ईरान ने पहली बार साल 2024 में दुनिया को दिखाई थी और अब इसका इस्तेमाल युद्ध में किया गया है।
फतह-1 मिसाइल से इजरायल पर हमला
ईरान की फतह-1 हाइपरसोनिक मिसाइल इजरायल के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकती है। इजरायल के मशहूर डिफेंस सिस्टम आयरन डोम और एरो-3 को इस घातक मिसाइल का सामना करना पड़ेगा। 2024 में ईरान ने 7 फतह-1 मिसाइलें दागीं, जिनमें कुछ ने इजरायल के नेवातिम एयरबेस को निशाना बनाया। भले ही इजरायल ने कुछ मिसाइलों को रोका, लेकिन कई मिसाइलें डिफेंस सिस्टम को चकमा देकर निशाना साधने में सफल रहीं.
अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के बावजूद ईरान ने मिसाइल और ड्रोन तकनीक में काफी हद तक आत्मनिर्भरता हासिल कर ली है। ईरानी रक्षा मंत्री जनरल अजीज नसीरजादेह का दावा है कि फतह-1 बिना जीपीएस के भी सटीक निशाना लगा सकता है और एक साथ कई लक्ष्यों में से किसी एक को चुनकर हमला कर सकता है। वहीं, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इस तकनीक के पीछे रूस, चीन और उत्तर कोरिया का हाथ हो सकता है।
ईरान की फतह-1 मिसाइल की ताकत
फतह-1 ईरान की पहली हाइपरसोनिक बैलिस्टिक मिसाइल है, जिसे ईरान की सेना के विशेष दस्ते IRGC ने बनाया है। इसे पहली बार 2023 में दिखाया गया था और इसका इस्तेमाल 2024 में इजरायल पर हमले में किया गया था। यह सतह से सतह पर हमला करने वाली मिसाइल है, जो इतनी तेज और सटीक है कि दुश्मन के सुरक्षा सिस्टम इसे पकड़ नहीं पाते। यह मिसाइल 16,000 से 18,500 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ती है, जो ध्वनि की गति से करीब 13 से 15 गुना ज्यादा है।
इतनी तेज होने की वजह से इसे ट्रैक करना और रोकना काफी मुश्किल है। यह मिसाइल महज 6-7 मिनट (करीब 400 सेकंड) में तेल अवीव तक पहुंच सकती है। इस मिसाइल की रेंज 1400 किलोमीटर तक है। यानी यह इजरायल, सऊदी अरब और मध्य पूर्व के कई देशों तक आसानी से पहुंचकर हमला कर सकती है।
फतह-1 एडवांस नेविगेशन सिस्टम और सटीक गाइडेंस तकनीक से लैस है। यह अपने लक्ष्य को मात्र 10 मीटर की रेंज में भेद सकता है, जो इसे बहुत सटीक हथियार बनाता है।
फतह-1 मिसाइल 460 किलोग्राम तक विस्फोटक (वारहेड) ले जा सकती है। विस्फोटकों की इतनी बड़ी मात्रा इसे किसी भी लक्ष्य को भारी नुकसान पहुंचाने में सक्षम बनाती है, चाहे वह सैन्य अड्डा हो या महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा।