Israel Attack On Iran: इराक के साथ सीमा साझा करने वाला देश न होने के बावजूद इजरायल ने ईरान को पूरी तरह से तबाह कर दिया। करीब 100 जगहों को निशाना बनाते हुए इजरायल ने तेहरान में परमाणु केंद्रों को भी उड़ा दिया। ऐसे में सवाल उठता है कि इजरायल ने किस देश के हवाई मार्ग का इस्तेमाल कर यह हमला किया। दरअसल, इस सफल हमले में कम से कम दो देशों ने मदद की है। हालांकि, एक पड़ोसी देश जॉर्डन खुलकर इजरायल के समर्थन में सामने आया है। ऐसे में ये सवाल उठने लगे हैं कि, आखिर वो दूसरा देश कौन सा है जिसने इजरायल की मदद की।
इजरायल ईरान पर हमला करने के लिए कम से कम 5 संभावित मार्गों के जरिए एयरबेस या हवाई गलियारों का इस्तेमाल कर सकता है। इनमें से कुछ मार्ग सीधे हैं, तो कुछ में तीसरे देशों की अनुमति या गुप्त योजना शामिल हो सकती है। इजरायल द्वारा ईरान के हमले के बाद से ये सवाल उठने लगे हैं कि आखिर इजरायल ने किन रास्तों का इस्तेमाल कर ईरान पर इतना बड़ा हमला किया। सबसे पहले नाम जॉर्डन का आता है। जॉर्डन और इजरायल की दोस्ती किसी से छिपी नहीं है। इसलिए ऐसा हो सकता है कि इजरायल ने जॉर्डन के रास्ते हमला किया होगा।
जानकारी के अनुसार, जॉर्डन के जरिए इराक की हवाई सीमा पार करके ईरान पहुंचना आसान है, लेकिन इराक की अनुमति के बिना उतना ही खतरनाक भी है। माना जा रहा है कि इराक में अमेरिका के सैन्य प्रभाव के चलते इजरायल यहां से गुप्त अनुमति ले सकता है। ऐसे कयास इसलिए भी लगाए जा रहे हैं क्योंकि 1981 में इराक के ओसिराक रिएक्टर पर हमला करने के लिए इजरायल ने यही रास्ता अपनाया था। दरअसल, दुनिया के नक्शे पर साफ देखा जा सकता है कि इजरायली लड़ाकू विमान इस रास्ते से हमला करने के बाद आसानी से वापस लौट सकते हैं।
सऊदी अरब सार्वजानिक रूप से इजरायल का समर्थन तो नहीं करता है, लेकिन ईरान का विरोधी जरूर है।इसलिए कई रिपोर्ट्स में इस बात के संकेत मिले हैं कि इजरायली ड्रोन या जेट ने कई बार सऊदी एयरस्पेस का इस्तेमाल किया है, भले ही सीमित समय के लिए ही क्यों न हो। ऐसे में माना जा सकता है कि अगर कोई बड़ा ऑपरेशन होता है तो इजरायल सऊदी इलाके से होते हुए इस मिशन को पूरा कर सकता है। हालांकि, यह रास्ता मुश्किल है, क्योंकि सऊदी से तेहरान का सफर काफी लंबा है। इस दौरान इजरायली विमान या तो जाते हुए या फिर हमला करने के बाद वापस लौटते हुए पकड़े जा सकते हैं। इसलिए इस रास्ते का इस्तेमाल करना मुश्किल माना जा रहा है।
अमेरिका इस समय सीरिया और इराक दोनों पर दबाव बना रहा है। ऐसे में संभावना है कि यह हमला सीरिया और इराक के हवाई रास्ते से संभव हो। यह मानना मुश्किल है कि दोनों देश ईरान के खिलाफ जा सकते हैं। इसीलिए इसकी संभावना कम ही मानी जा रही है। हालांकि, इस बात को पूरी तरह से नकारा भी नहीं जा सकता। इजरायल ने इनमें से किसी एक रास्ते से ईरान को झकझोरा है। लेकिन अभी तक यह साफ नहीं है कि इराक, सीरिया, सऊदी या जॉर्डन। इनमें से किस देश ने ईरान को धोखा दिया है।