Israel Iran War: अहमदाबाद प्लेन क्रैश के बाद से बोइंग कंपनी सुर्खियों में बनी हुई है। बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर जहाज हादसे के बाद बोइंग कंपनी के विमानों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। लेकिन अब इजरायल-ईरान जंग में भी बोइंग की एंट्री होने वाली है।
असल में इकोनॉमिक्स टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बोइंग बम को करीब दो दशक पहले अमेरिकी वायुसेना के लिए बनाया गया था। इजरायल-ईरान युद्ध में बोइंग बम की चर्चा इसलिए हो रही है क्योंकि इसका इस्तेमाल ईरान के परमाणु ठिकानों को उड़ाने में किया जा सकता है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ईरान के खिलाफ लड़ाई में इजरायल का खुलकर समर्थन कर रहे हैं, जिसकी वजह से इस युद्ध में बोइंग के इस्तेमाल की बात हो रही है।
इजरायल जानता है कि अगर ईरान को परमाणु हथियार बनाने से रोकना है तो तेहरान से 125 किलोमीटर दूर क़ोम शहर के पास पहाड़ में करीब 300 फीट की गहराई पर बने फोर्डो ईंधन संवर्धन संयंत्र को नष्ट करना होगा। इजरायल के लिए फोर्डो प्लांट पर हमला करना इतना आसान नहीं है।
फोर्डो प्लांट को नष्ट करने के लिए इजरायल को जिन हथियारों की जरूरत है, वे उसके शस्त्रागार में मौजूद नहीं हैं, इसलिए बोइंग बम की चर्चा हो रही है। बोइंग बम अमेरिकी वायुसेना के सबसे खतरनाक हथियारों की सूची में शामिल है। बोइंग के GBU-57 A/B मैसिव ऑर्डनेंस पेनेट्रेटर (MOP) को बंकर बस्टर के तौर पर जाना जाता है।
जीबीयू-57 ए/बी मैसिव ऑर्डनेंस पेनेट्रेटर अमेरिका की अत्याधुनिक बंकर बस्टिंग तकनीक पर काम करता है। इसका वजन 30,000 पाउंड यानी 13,600 किलोग्राम है और यह 20.5 फीट लंबा है, जो जमीन के नीचे जाकर भी भूमिगत लक्ष्यों को नष्ट कर सकता है। इसका वजन इतना है कि इसे सिर्फ अमेरिका के बी-2 स्पिरिट जैसे बमवर्षकों में ही फिट किया जा सकता है।
बोइंग बम की ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यह 130 फीट तक की चट्टान को भेद सकता है, जबकि 200 फीट तक की कंक्रीट की सतह को भेदने की क्षमता रखता है। इसमें लगा जीपीएस इसे लक्ष्य तक पहुंचने में मदद करता है।