Israel Iran War China Factor: इजरायल और ईरान के बीच युद्ध छिड़ गया है। यहूदी देश ने शुक्रवार को तेहरान और आसपास के बड़े शहरों पर मिसाइलों की बौछार की है। इजराइल ने इस हमले को ऑपरेशन राइजिंग लॉयन नाम दिया है। इसके तहत इजराइल ने ईरान के 200 से ज्यादा ठिकानों पर सटीक हमले किए, जिनमें सेना के ठिकाने, मिसाइल फैक्ट्रियां और परमाणु वैज्ञानिकों के घर शामिल हैं। इसके बाद ईरान ने देर रात तेल अवीव पर 100 बैलिस्टिक मिसाइलों से हमला किया। इस हमले को रोकने में इजराइल के आयरन डोम और डेविड स्लिंग जैसे रक्षा कवच भी नाकाम रहे।
इस युद्ध में अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस इजराइल के समर्थन में खड़े हुए हैं। वहीं ईरानी राष्ट्रपति ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बात की है। दूसरी ओर सबकी नजर चीन पर भी है। माना जा रहा है कि अगर चीन और रूस ईरान का साथ देते हैं तो इजराइल के साथ युद्ध का स्वरूप बदल सकता है। सवाल यह भी है कि चीन के ईरान के साथ किस तरह के रिश्ते हैं। क्या वह पाकिस्तान की तरह ईरान को हथियार सप्लाई करता है? अगर करता है तो उसने पहले कौन से हथियार सप्लाई किए हैं? आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से इन्हीं सब सवालों के जवाब जानेंगे।
चीन और ईरान के बीच सैन्य और सामरिक सहयोग कोई नई बात नहीं है। चीन ने 1980 के दशक में ईरान-इराक युद्ध के दौरान ईरान को हथियार सप्लाई करना शुरू किया था। उस समय पश्चिम से कटे ईरान के लिए चीन और उत्तर कोरिया जैसे देश मुख्य हथियार आपूर्तिकर्ता बन गए थे। तब से दोनों देशों के बीच रक्षा, तेल और तकनीक के क्षेत्र में सहयोग लगातार बढ़ा है। पिछले हफ्ते ही खबर आई थी कि ईरान ने चीन से हजारों टन मिसाइल ईंधन मंगवाया है। इस ईंधन से हजारों बैलिस्टिक मिसाइलें बनाई जा सकती हैं।
दरअसल, ईरान को लंबे समय से इजरायल के हमले की आशंका थी। उसके परमाणु कार्यक्रम को लेकर डोनाल्ड ट्रंप और बेंजामिन नेतन्याहू की धमकियों ने ईरान को सतर्क कर दिया था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एक साल के अंदर यह दूसरा मौका है जब ईरान ने चीन से मिसाइल ईंधन खरीदा है। इससे पहले इसी साल जनवरी-फरवरी में ईरान के दो जहाज गोल्बन और जयरान ने चीन से 1,000 टन सोडियम परक्लोरेट लोड किया था।