Israel Iran war: इजराइल-ईरान युद्ध ने पूरी दुनिया सकते में हैं। इजराइल ने इसकी शुरुआत ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला करके की। हाल ही में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक यह हमला इजराइल की सालों की तैयार सैन्य रणनीति का नतीजा था। सेना ने जासूसों और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से इस हमले को अंजाम दिया और ईरान के कई अहम ठिकानों को निशाना बनाया। इजराइल ने सबसे पहले ईरान के एयर डिफेंस सिस्टम को नष्ट किया और फिर परमाणु ठिकानों और शीर्ष सैन्य अधिकारियों को निशाना बनाया।
रॉयटर्स ने इजराइली खुफिया और सैन्य अधिकारियों से बातचीत के आधार पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की है, जिसमें मोसाद की पूर्व शोध निदेशक सिमा शाई भी शामिल हैं। इसमें उन्होंने नाम न बताने की शर्त पर इस हमले की पूरी रूपरेखा बताई है। रिपोर्ट के मुताबिक मोसाद कई सालों से इस हमले की रणनीति बना रहा था। ईरान यह मानकर चल रहा था कि जब तक वह अमेरिका से बातचीत करता रहेगा, तब तक वह इजराइल पर हमला नहीं करेगा, जो उसकी बड़ी भूल साबित हुई।
अमेरिका और ईरान के बीच परमाणु कार्यक्रम पर छठे दौर की बातचीत 15 जून को होनी थी, उससे दो दिन पहले नेतन्याहू ने इस हमले की इजाजत दे दी थी। कहा जा रहा है कि ट्रंप को भी इस बारे में जानकारी दी गई थी। मोसाद पिछले तीन साल से इस पर काम कर रहा था। अक्टूबर में जब इजराइल ने ईरान पर हमला किया तो उसकी एयर डिफेंस की कमजोरी सामने आई। इसके बाद इजराइल ने मिशन को और तेज किया और ड्रोन को ईरान में घुसपैठ कराया।
मोसाद ने टारगेट चुनने के लिए एआई की मदद ली। डेटा को प्रोसेस करके यह तय किया गया कि कौन से टारगेट इजराइल के लिए खतरा हैं। इस प्रक्रिया में यह तय किया गया कि इस समय ईरान के कई जनरल और वैज्ञानिक अपने दिनभर के काम के हिसाब से कहां होंगे। हमले में जनरल हुसैन सलामी (रिवोल्यूशनरी गार्ड के चीफ), जनरल मोहम्मद बाघेरी (ईरानी सेना के चीफ ऑफ स्टाफ) और मिसाइल प्रोग्राम के प्रमुख समेत कम से कम 8 सीनियर अधिकारी मारे गए। इनमें से कुछ बंकर में थे, जहां इजराइल ने पहुंचकर उन्हें मार गिराया।
मोसाद ने मिसाइल लांचर वाहनों को भी निशाना बनाया। ईरानी पुलिस प्रमुख जनरल अहमदरेज़ा रादान ने कहा कि ईरान में कई जगहों से इजरायली ड्रोन से लदे वाहन बरामद किए गए हैं। ऐसा ईरान के एयर डिफेंस सिस्टम को नष्ट करने के लिए किया गया था।