नई दिल्ली. पबजी मोबाइल वीडियो गेम का पुरी दुनिया में बच्चों से लेकर युवाओं तक क्रेज सिर चढ़कर बोल रहा है. पबजी एडिक्ट बच्चे अपना ज्यादातर समय गेम खेलने में बिता रहे हैं जिसका नुकसान उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से मिल रहा है. पबजी से हो रहे बच्चों को नुकसान को लकेर भारत समेत विश्व के कई देशों में गेम को बैन करने की मांग छिड़ चुकी है. इराक, नेपाल समेत कुछ देश गेम पर बैन भी लगा चुके हैं. ऐसे में जॉर्डन में भी पबजी वीडियो गेम पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. ऐसा करने वाला जॉर्डन पांचवा देश बन गया है.
जॉर्डन में पबजी गेम पर बैन को लेकर सरकारी अधिकारियों का कहना है कि पबजी गेम काफी हिंसक है जिसका देश के नागरिकों पर नकात्मक असर पड़ रहा है. देश में हालात कुछ ऐसे हैं कि पबजी के चक्कर स्कूल और कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्रों ने गेम खेलने के चक्कर में किताबें पढ़ना तक छोड़ दिया है. जॉर्डन सरकार ने कहा कि पबजी मोबाइल वीडियो गेम देश के बच्चों को बर्बाद कर रहा है. बच्चे घंटों पबजी खेलकर अपना समय व्यर्थ कर रहे हैं. जॉर्डन में पबजी बैन के सरकारी आदेश को लेकर कहा गया कि अगर कोई सरकारी कर्मचारी भी अपने संस्थान में पबजी खेलता हुआ पाया जाता है तो उस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
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क्या सच में बच्चों को हिंसक बना रहा है पबजी?
पबजी वीडियो गेम पर बैन लगाने को लेकर हर जगह चर्चा जोरों पर है. भारत में भी कई ऐसे मामले सामने आ चुके हैं जहां बच्चों ने पबजी खेलने के लिए हत्या जैसे अपराधों को भी अंजाम दे डाला. चोरी, मारपीट के भी कई मामले सामने आए. बच्चों ने अपने घर से ही पैसे और फोन तक की चोरी कर डाली. पबजी से हो रहे बढ़ते नुकसान को देखकर इसे बैन करने की मांग उठाई गई. मनोवैज्ञानिक की मानें तो पबजी गेम का सेहत पर भी बुरा असर पड़ता है. पबजी से बच्चे हिंसक और चिड़चिड़े हो रहे हैं. इसके साथ ही गेम का प्रभाव उनकी आंखों पर पड़ा रहा है.