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Israel-Iran War : तबाह हो रहा ईरान, फिर भी क्यों शांत हैं रूस और चीन…जाने पुतिन और जिनपिंग ने कौन से फायदे के लिए छोड़ा खामेनेई को अकेला?

Russia China Stand On Iran conflict : ईरान-इजराइल युद्ध में सबकी नज़रें महाशक्तियों पर टिकी हैं। अमेरिका खुलकर इजराइल के साथ खड़ा है। उसे हथियार और रसद मुहैया करा रहा है। कूटनीतिक तौर पर भी पूरी दुनिया को साथ लाने की कोशिश कर रहा है। जबकि रूस और चीन न तो खुलकर बोल रहे हैं […]

Russia China Stand On Iran conflict
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  • Last Updated: June 18, 2025 20:19:29 IST

Russia China Stand On Iran conflict : ईरान-इजराइल युद्ध में सबकी नज़रें महाशक्तियों पर टिकी हैं। अमेरिका खुलकर इजराइल के साथ खड़ा है। उसे हथियार और रसद मुहैया करा रहा है। कूटनीतिक तौर पर भी पूरी दुनिया को साथ लाने की कोशिश कर रहा है। जबकि रूस और चीन न तो खुलकर बोल रहे हैं और न ही कोई निर्णायक कदम उठा रहे हैं।

दोनों ने सिर्फ़ इतना कहा है कि युद्ध किसी समस्या का समाधान नहीं है। इसे रोका जाना चाहिए। अब सवाल उठ रहा है कि व्लादिमीर पुतिन और शी जिनपिंग इस जगं को लेकर चुप क्यों हैं? क्या पर्दे के पीछे कोई बड़ा खेल चल रहा है या दोनों सिर्फ़ अपना फ़ायदा देख रहे हैं।

रूस खुलकर नहीं दे रहा है ईरान का साथ!

रूस की ओर से अभी तक कोई कड़ा बयान नहीं आया है। क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने सिर्फ़ इतना कहा कि स्थिति तेज़ी से बिगड़ रही है और इसके अनपेक्षित परिणाम पूरे मध्य पूर्व को प्रभावित कर सकते हैं। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इज़राइली प्रधानमंत्री नेतन्याहू और ईरानी राष्ट्रपति मसूद पजेशकियन से फ़ोन पर बात ज़रूर की, लेकिन कोई स्पष्ट मध्यस्थता की पेशकश नहीं की गई।

रूस की चुप्पी इसलिए भी आश्चर्यजनक है क्योंकि ईरान उसका घनिष्ठ रणनीतिक साझेदार रहा है। यूक्रेन युद्ध के दौरान ईरान ने रूस को ड्रोन मुहैया कराए थे और दोनों देशों ने तेल, रक्षा और परिवहन के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण समझौते किए हैं। इसके बावजूद रूस ने अभी तक इज़राइल की सैन्य कार्रवाई की निंदा नहीं की है।

रूस के शांत रहने के पीछे की वजह

यरुशलम पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक- रूस इस समय यूक्रेन युद्ध में बुरी तरह उलझा हुआ है। उसे पश्चिम की ओर से कड़े आर्थिक और कूटनीतिक दबाव का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में अगर वह खुलकर ईरान के पक्ष में खड़ा होता है तो इससे पश्चिमी देश और नाराज हो जाएंगे। रूस को लगता है कि इससे सैन्य संघर्ष और बढ़ेगा। रूस नहीं चाहता कि उसके खिलाफ कोई और मोर्चा खुले।

दूसरा कारण सबसे बड़ा है। रूस को लगता है कि अगर ईरान युद्ध लंबा खिंचता है तो यूक्रेन की मदद करने वाले अमेरिका और यूरोपीय देशों का ध्यान इजरायल-ईरान युद्ध पर चला जाएगा। अगर ऐसा हुआ तो वे यूक्रेन की मदद नहीं कर पाएंगे, जिससे रूस को यूक्रेन पर बढ़त मिल जाएगी। अगर ऐसा कुछ हफ़्ते भी हुआ तो पुतिन यूक्रेन में अपना संकल्प पूरा कर पाएंगे। तीसरा, इस तनाव से तेल की कीमतें बढ़ेंगी, जिससे रूस को राजस्व मिलेगा।

चीन की खामोशी के पीछे की वजह

चीन ने संयम बरतने की अपील की है लेकिन न तो इजरायल को हमलावर कहा है और न ही ईरान को निर्दोष बताया है। चीन ने संयुक्त राष्ट्र में भी किसी एक पक्ष का समर्थन नहीं किया है। चीन शांति का समर्थक दिखना चाहता है लेकिन अपने आर्थिक हितों को जोखिम में नहीं डालना चाहता।

चीन के लिए सबसे बड़ा मुद्दा तेल और व्यापार है। ईरान और खाड़ी देशों के साथ उसका बहुत बड़ा व्यापार है और वह किसी भी कीमत पर उस क्षेत्र में अस्थिरता नहीं चाहता। जिनपिंग को डर है कि किसी भी पक्ष का समर्थन करने से उसके आर्थिक हितों को नुकसान पहुंचेगा। साथ ही अमेरिका के साथ पहले से ही व्यापार युद्ध और ताइवान को लेकर तनाव है। ऐसे में चीन किसी नए मोर्चे पर टकराव नहीं चाहता।

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